स्टानजिंग कुंजाग आंग्मो

स्टानजिंग कुंजाग आंग्मो
लेह त्रासदी का एक सालः सुनो पर्यावरण कुछ कहता है!
Posted on 16 Aug, 2011 03:59 PM

वैज्ञानिकों में पर्यावरण संबंधी चिंता इस बात का स्पष्ट इशारा है कि अगर इस विषय पर कोई ठोस उपाय नहीं निकाले गए तो इसके गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं। समय की मांग है कि पर्यावरण पर चिंता करना और उसके उपाय ढ़ूंढ़ना केवल वैज्ञानिकों का ही नहीं बल्कि हम सब का कर्तव्य है।

पिछले वर्ष लद्दाख के लेह में बादल फटने के कारण हुई तबाही अब भी लोगों की जेहन में ताजा है। 5-6 अगस्त 2010 की रात लेह पर जैसे आसमान से कहर टूट पड़ा। बादल फटने के कारण लेह में विभिषिका का जो तांडव हुआ उसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है। अचानक आई बाढ़ के कारण नदी और नाले उफान पर आ गए और पल भर में ही लेह को अपनी चपेट में ले लिया। विकराल धारा ने मीलों लंबी सड़कों, पुलों, खेत बगीचे और घरों को देखते ही देखते लील लिया। तेज बहाव ने नए और पुराने या मिट्टी या कंक्रीट से बने घरों व भवनों में कोई भेदभाव नहीं किया। करीब 257 से ज्यादा लोगों ने अपनी जाने गंवाईं। इनमें 36 गैर लद्दाखी भी शामिल हैं।
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