शशिरंजन कुमार

शशिरंजन कुमार
पेयजल में फ्लोराइड की अधिकता से मानव शरीर पर कुप्रभाव
Posted on 28 Dec, 2015 12:34 PM
फ्लोरोसिस आधुनिक भारतीय समाज (खासकर ग्रामीण समाज) का वह अभिशाप है जो सुरसा की तरह मुॅंह फैलाए जा रही है और हजारों लोग प्रतिवर्ष इसकी चपेट में आकर वैसा ही महसूस कर रहे हैं जैसा कोई अजगर की गिरफ़्त में आकर महसूस करता है।

फ्लोरोसिस मनुष्य को तब होता है जब वह मानक सीमा से अधिक घुलनशील फ्लोराइड-युक्त पेयजल को लगातार पीने के लिये व्यवहार में लाता रहता है।

भारत में फ्लोरोसिस सर्वप्रथम सन् 1930 के आस-पास दक्षिण भारत के राज्य आन्ध्र प्रदेश में देखा गया था। लेकिन आज भारत के विभिन्न राज्यों में यह बिमारी अपने पाँव पसार चुकी है और दिन-प्रतिदिन इसका स्वरूप विकराल ही होता चला जा रहा है।
महाभारतकालीन नगर तेजपुर (असम) के भूजल में समस्थानिकों के गुणधर्म में स्थानीय विचलन
Posted on 23 Dec, 2011 04:10 PM सर एडमंड हिलेरी ने कहा है, पर्यावरणीय समस्या मनुष्य के कारण ही शुरू होती है तथा इसका शिकार भी स्वयं मनुष्य ही बनता है। प्रचुरता में उपलब्ध जल संसाधनों के कारण उत्तरपूर्वी भारत को जहाँ भारत का पावर हाउस कहा जाता है वहीं समस्याओं के निराकरण के लिए जरुरी आँकड़ों का यहाँ अकाल सा है। इस विरोधाभास के समाधान के लिए समाहित समन्वित प्रयासों तथा अत्याधुनिक तकनीकों के उपयोग की आवश्यकता से इंकार नहीं किया जा
जलवायु परिवर्तन के कारण अगरतला की भूजल संपदा पर पड़ने वाले दूरगामी प्रभाव
Posted on 23 Dec, 2011 03:47 PM
वर्तमान समय में ग्रीनहाऊस गैसों के उत्सर्जन से जलवायु परिवर्तन के कारण नैसर्गिक वातावरण पर पड़ने वाले प्रभावों की शोध संख्या में बेतहासा वृद्धि हो गयी है जो कि अपने आप में जलवायु परिवर्तन की गंभीरता तथा इसके अध्ययन की महत्वता को दर्शाता है। विकसित तथा विकासशील देशों के सरकारी दिशा निर्देशों में यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है। मानवजनित ग्रीनहाऊस गैसों के लगातार उत्सर्जन, जलवायु परिवर्तन तथा दिनो
अगरतला की भौगोलिक स्थिति
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