शिवमपूर्णा
शिवमपूर्णा
नदी पुनीत पुरान बखानी
Posted on 09 Aug, 2015 12:45 PMमानस में जल की यह 35 वीं शृंखला अयोध्या कांड के 118 वें दोहे से ली गई है। राम वनवास में ग्रामों से गुजरते तब वहाँ के ग्राम वासी उन्हें बिदा करते समय आँखों में जल भर कर सुगम मार्ग बतलाते हैं। विधाता को कोसते है।निपट निरंकुस निठुर निसंकू।
जेहि ससि कीन्ह सरूज सकलंकू।।
रूख कलपतरू सागर खारा।
तेहि पठए बन राजकुमारा।।