सेवा नंदवाल

सेवा नंदवाल
नदी और आदमी
Posted on 08 Apr, 2014 03:50 PM

नदी निश्चल बहती है
इसका अर्थ
यह तो नहीं कि वह कुछ नहीं कहती।
बहुत कुछ कहती है तब
जब जानलेवा गरमी में
प्यास से बदहाल
हम निहारते हैं उसे।
स्वाद लेते हैं उसके
ममतामयी शीतल नीर का।
वह कहती है तब भी
जब हम चखते हैं
उसके अमृत से सिंचित
पेड़ के मीठे सुस्वादु फल को।
चलाना हो कल-कारखाने
या विपुल विद्युत उत्पादन
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