रोमा
जंगल बचाने की नई मुहिम
Posted on 07 Jun, 2013 10:30 AMवनाधिकार कानून बन जाने के बावजूद वनों पर आश्रित आबादी अपने राज्यसत्ता और कॉरपोरेट घराने नई किस्म की दुरभिसंधि में मशगूल हैं। ऐसे में ये वंचित और उनके बीच काम करने वाले संगठन देश भर में आंदोलन छेड़ने की तैयारी में लगे हुए हैं। वन संपदा को बचाने की इस व्यापक सामाजिक पहल के बारे में बता रही हैं रोमा।बांध के खिलाफ लगा एक मोर्चा
Posted on 31 Jan, 2012 10:06 AMदेश में आम जनता द्वारा प्राकृतिक संपदा के लूट और विनाशकारी परियोजना का इतना बड़ा विरोध शायद नर्मदा बांध के बाद सबसे बड़ा विरोध है लेकिन इस ओर न ही सरकारों का ध्यान जा रहा है और न ही बहुचर्चित अन्ना आंदोलन का। भ्रष्टाचार के खिलाफ शायद यह आंदोलन अन्ना द्वारा छेड़े जा रहे लोकपाल बिल लाने के आंदोलन से भी बड़ा है। लेकिन देश में इस तरह के आंदोलन की बहस नहीं हो पाती जो भ्रष्टाचार के विरूद्ध लड़े जाने वाले असली आंदोलन हैं, जो देश को विनाश से बचाने के आंदोलन हैं और जो आम गरीब, ग्रामीण, महिलाओं के नेतृत्व में लड़े जाने वाले आंदोलन हैं।
देश के उत्तर पूर्व के एक राज्य असम के लखीमपुर जिले में निर्माणाधीन लोअर सुबानसिरी को वहां के जनसंगठनों की तरफ से पिछले एक महीने से हजारों की संख्या में चक्का जाम कर बांध निर्माण को रोक दिया है। यह बांध असम और अरुणाचल प्रदेश की सीमा में ब्रह्मपुत्र नदी के ऊपर बनाया जा रहा है जो कि अपने विकराल रूप के लिए सदियों से जानी जाती है। 14 जनवरी 2012 को असम की सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार द्वारा आंदोलनकारियों को तितर बितर करने के लिए गोली चलाई गई जिसमें 15 लोग घायल हो चुके हैं। लेकिन इसके बावजूद भी आंदोलन अभी तक थमा नहीं है। इस कड़ाके की सर्दी में हजारों महिलाएं अपने छोटे-छोटे बच्चों को लेकर सड़क पर टस से मस होने को तैयार नहीं है। कृषक मुक्ति संग्राम समिति एवं आल असम स्टूडेंट्स यूनियन के नेतृत्व में चला आ रहा यह आंदोलन अब बिल्कुल सड़क पर उतर आया है जिसका समर्थन असम के मध्यम वर्ग एवं बुद्धिजीवी वर्ग को भी मिल रहा है।वनाधिकार कानून और महिलाएं
Posted on 07 Sep, 2011 09:32 AMपर्यावरण मंत्रालय वन भूमि को अपने नियंत्रण में रखने के लिए वृक्षारोपण और उद्योगों के नाम पर विभ
हाथियों का हत्यारा कौन?
Posted on 29 Jul, 2011 11:40 AMनेपाल सीमा से लगे उत्तर प्रदेश के जनपद खीरी के दुधवा नेशनल पार्क में अभी हाल ही में एक साथ तीन हाथियों की बिजली की हाई टेंशन तारों के कारण दर्दनाक मौत हो गयी। इस घटना में सबसे हृदय-विदारक मौत उस गर्भवती हथिनी को मिली, जिसकी कोख से अपरिपक्व बच्चा बिजली के तेज झटके लगने के कारण मां के पेट से बाहर आ गया। हाथियों के झुंड का गुस्सा रास्ते के जंगल में लगे हाईटेंशन पोल पर तब उतरा, जब वे गांव में अपने