रघुवीर सहाय
रघुवीर सहाय
धूप
Posted on 26 Dec, 2014 01:38 PMदेख रहा हूँलम्बी खिड़की पर रक्खे पौधे
धूप की ओर बाहर झुके जा रहे हैं
हर साल की तरह गोरैया
अबकि भी कार्निस पर ला-ला के धरने लगी है तिनके
हालाँकि यह वह गोरैया नहीं
यह वह मकान भी नहीं
ये वे गमले भी नहीं, यह वह खिड़की भी नहीं
कितनी सही है मेरी पहचान इस धूप की
कितने सही हैं ये गुलाब
कुछ कसे हुए और कुछ झरने-झरने को
पानी-पानी
Posted on 19 Sep, 2013 04:04 PMपानी-पानीबच्चा-बच्चा
हिंदुस्तानी
मांग रहा है पानी-पानी,
जिसको पानी नहीं मिला है
वह धरती आजाद नहीं
उस पर बसते हिंदुस्तानी
पर है वह आबाद नहीं
पानी-पानी
बच्चा-बच्चा
मांग रहा है हिंतुस्तानी।
जो पानी के मालिक हैं
भारत पर उनका कब्जा है
जहां न दे पानी वहां सूखा
जहां दे वहां सब्जा है
अपना पानी
मांग रहा है हिंदुस्तानी
पानी-पानी
Posted on 25 Jul, 2014 01:37 PMपानी पानीबच्चा बच्चा
हिन्दुस्तानी
मांग रहा है
पानी पानी
जिसको पानी नहीं मिला है
वह धरती आजाद नहीं
उस पर हिन्दुस्तानी बसते हैं
पर वह आबाद नहीं
पानी पानी बच्चा बच्चा
मांग रहा है
हिन्दुस्तानी
जो पानी के मालिक हैं
भारत पर उनका कब्जा है
जहां न दें पानी वहां सूखा
जहां दें वहां सब्जा है