रेम्जी बरॉड

रेम्जी बरॉड
शताब्दी विकास लक्ष्य: महान विचार की वस्तुस्थिति
Posted on 19 Sep, 2010 11:27 AM
शताब्दी विकास लक्ष्यों (एम.डी.जी) के महत्व को ध्यान में रखते हुए इनके क्रियान्वयन की समीक्षा करना आवश्यक है। इसी के साथ संयुक्त राष्ट्र संघ के दोहरे व्यक्तित्व पर भी विचार करते हुए इसमें सुधार के लिए उठने वाली आवाजों को मजबूती प्रदान की जाना चाहिए। विश्व में विद्यमान विरोधाभासी परिस्थितियों को रेखांकित करता आलेख।संयुक्त राष्ट्र शताब्दी विकास लक्ष्यों (एम.डी.जी) को जिस उम्मीदों के साथ घोषित किया गया था, उसके एक दशक पश्चात सभी सरकारी दावों के बावजूद नजर आता है कि विकास की प्रवृत्ति प्रारंभ से ही त्रुटिपूर्ण थी। पिछले दस वर्षों में असंख्य समितियों, अंतर्राष्ट्रीय एवं स्थानीय संगठनों एवं स्वतंत्र शोधकर्ताओं ने दिन रात एक कर के चरम गरीबी और भूख, सभी को उपलब्ध प्राथमिक शिक्षा, लैंगिक समानता, शिशु मृत्यु आदि से संबंधित सभी प्रकार के सूचकांक, संख्या, तालिका और आंकड़े इकठ्ठा किए हैं।

आवश्यक नहीं है कि इन आंकड़ों से निकाले गए सभी निष्कर्ष भयंकर ही निकले हों। साथ ही संयुक्त राष्ट्र के सभी 192
×