राम नरेश एवं डा॰ संजय कुमार
राम नरेश एवं डा॰ संजय कुमार
गांवों में जल प्रदूषण
Posted on 02 Apr, 2011 03:34 PMप्राकृतिक स्रोत हमारे अपने हैं। इसलिए इनकी सुरक्षा और संरक्षण का दायित्व भी हमारा ही है। अपने दायित्वों की पूर्ति करके ही हम जल-प्रदूषण के खतरे से बचे रह सकते हैं।
दिनोंदिन द्रुतगति से बढ़ती आबादी का पेट भरने के लिए हमारी कृषि भूमि पर दबाव काफी बढ़ गया है जिस कारण अधिकाधिक उपज लेने के लिए रासायनिक उर्वरकों खरपतवार-नाशकों तथा कीटनाशकों आदि का उपयोग भी तेजी से बढ़ गया है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में खतरनाक जल-प्रदूषण को जन्म देता है। इसके अलावा नगरीय कूड़े-कचरे, मल-मूत्र, प्लास्टिक और पॉलीथीन तथा विभिन्न उद्योगों के अवशिष्ट पदार्थों को नदियों तथा अन्य प्राकृतिक जलस्रोतों में बहा देने से भारी मात्रा में जल प्रदूषण पैदा होता है। जल प्रदूषण का दुष्प्रभाव न केवल उन जीवों पर पड़ता है जो जल के भीतर ही जीवनायापन करते हैं, अपितु इसका कुप्रभाव ग्रामीण जनस्वास्थ्य पर भी पड़ता है।