राजु

राजु
विरासत
Posted on 25 Jun, 2011 09:35 AM ये माना कि घर में रोटी नहीं थी
पहाड़ ये जमी तोड़ी फोड़ी नहीं थी।

विद-बिद चला, जमी बिकती नहीं थी
महफूज जंगल, गाड़ा भीड़ा छी
धारे थे नौले थे, बहती नदी थी
हरयाली खेतों से, गौ का चमन छी।
ये माना कि........................।

स्कूल में मास्टर, हांग में हलिया
ठांगर में लकदक, लगुली चढी थी
हिसालु-किलमोड़ी, स्योंते गुदा कैं
×