राजेंद्र उपाध्याय
राजेंद्र उपाध्याय
गंगा केवल एक नदी का नाम नहीं
Posted on 02 Dec, 2013 10:13 AMमैं जब-जब इसके घाटों पर खड़ा होता हूंमुझे मां की आंखों की याद आती है
मेरे लिए यह सिर्फ एक नदी नहीं
मां है
मेरे थके तलुए सहलाती हुई
और मेरी फटी बिवाई में मोम भरती हुई
मां
इसका पानी
अपने घर में अमृत की तरह संजोकर रखती है
और पीढ़ियों तक सींचती है इससे
अपने घर की जड़ों को
मां को इस नदी के घाटों पर स्वर्ग दिखता है