राजेन्द्र सिंह

राजेन्द्र सिंह
जल कुप्रबंधन के कारण बेपानी हो रहा म्यांमार
म्यांमार का संकट अब बहुआयामी हो चुका है। कृषि संकट-पर्यावरण संकट से म्यांमार में आर्थिक संकट। उसके बाद आंतरिक तनाव और फिर शरणार्थी संकट। क्रम म्यांमार में बन चुका है और यह एक चक्र बन चुका है। म्यांमार से लगभग 10लाख रोहिंग्या शरणार्थी बांग्लादेश, भारत, पाकिस्तान आदि में फैल चुके हैं।






Posted on 31 Jan, 2023 12:18 PM

हिन्दुकुश राष्ट्रों की सूची में म्यान्मार एक समृद्ध राष्ट्र था। इसका ज्ञान, संस्कार और व्यवहार भी प्रकृति प्रिय था। लेकिन यहां की सरकारों व बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की सांठ-गांठ से अब यह राष्ट्र लुट-पिटकर गरीबतम्‌ की सूची में आ गया। यहां के जल का कुप्रबंधन भी एक मिसाल बन गया है। यहां की नदियां बहुत प्रदूषित और शोषित होकर मर गई हैं। समाज और राज दोनों ही साझे भविष्य को बेहतर बनाने के लिए चिंतनशील द

जल कुप्रबंधन के कारण बेपानी हो रहा म्यांमार (photo- myanmar water portal)
रावण की नहीं है अब श्रीलंका
श्रीलंका में क्लाइमेट चेंज का असर सूखाड़ और बाढ़ की समस्या अब दिखने लगा है। पिछले दो-तीन साल पहले कम बारिश ने कृषि संकट पैदा कर दिया था और वही कृषि संकट बाद में श्रीलंका का आर्थिक संकट बन चुका है। पूरी दुनिया को समझना चाहिए की जलवायु परिवर्तन एक हकीकत बन चुका है। हमें एक्सट्रीम वेदर कंडीशन की सच्चाई को गले उतार लेना चाहिए। बारिश बढ़ जाती है तो बाढ़ लाती है। और बारिश कम होती है तो सूखा लाती है। श्रीलंका ने पूरे दक्षिण एशिया क्षेत्र का यही हाल हो चुका है।
Posted on 31 Jan, 2023 12:01 PM

हिन्द महासागर के उत्तरी भाग में स्थित इस द्वीप को श्रीलंका समाजवादी गणतंत्र राष्ट्र के रूप में जाना जाता है। यह केन्द्रीय पहाड़ों तथा तटीय मैदानों से मिलकर बना है। यहां की वार्षिक वर्षा 2500 मिलीमीटर से 5000 मिलीमीटर तक है। तापमान 27 डिग्री से 45 डिग्री तक रहता है । चारों तरफ समुद्र से घिरा होने के कारण अर्द्ध उष्णकटिबंधीय जलवायु क्षेत्र है। यहां की औसत आर्द्रता 70 मिली मीटर, रात को 90 मिलीमीटर

स्वाल नदी यात्रा की तस्वीरें
प्रकृति के संरक्षण और अनुशासन के विकास की परिभाषा को गढ़ता देश भूटान
जहां एक तरफ पूरी दुनिया में प्रदूषण एक बड़ी समस्या बनी हुई है, वहीं भूटान दुनिया में सबसे प्रदूषण मुक्त देश है। यह उपलब्धि वहां की सरकार का तो है ही, और वहां के समाज का भी है। भूटान के लोग प्रकृति को भगवान मानते हैं। और एक ही घर में कई-कई पीढ़ियां एक साथ रहती हैं। हालांकि उनकी अर्थव्यवस्था बहुत बड़ी नहीं है लेकिन वहां के लोग दुनिया में सबसे ज्यादा प्रशन्न, संतुष्ट, प्रकृति से प्रेम करते हुए जीवन मूल्यों को आगे बढ़ा रहे हैं।

Posted on 31 Jan, 2023 11:48 AM

प्रकृति ने जो दिया, जितना दिया है, उसका अपनी कुशलता-दक्षता से सर्वोत्तम उपयोग करने का संस्कार भूटान देश में गहरा है। संरक्षण और अनुशासन ही यहां की विकास परिभाषा को गढ़ता और बनाता है। संरक्षण, उपयोग दक्षता और मानवीय अनुशासन ही भूटान की पुनर्जनन प्रक्रिया को तेज रखता है। प्राकृतिक और मानवता पुनर्जनन प्रक्रिया ही इस देश को दुनिया का सर्वाधिक आनंददायी देश बनाने का काम कर सका है।

राजेन्द्र सिंह,(PC:-राजेन्द्र सिंह)
बांग्लादेशी विस्थापितों का पुनर्वासघर है भारत
बांग्लादेशियों में बाढ़ तथा शाकाहारी भोजन का भी भारत जैसा सम्मान नहीं है। शायद इसलिए प्रकृति के मूल स्वरूप को मानवता का पोषक मानने में भारतीय दृष्टि से भी भिन्‍नता है। फिर भी आहार-विहार, आचार-विचार, रहन-सहन इस सब में बहुत दूरी नहीं है। इसलिए बांग्लादेशी भी यूरोप में जाकर अपने को भारतीय बोलते हैं।
Posted on 30 Jan, 2023 01:20 PM

बांग्लादेश में मेरा कई बार जाना हुआ है। जब भी गया तब नैतिकता, न्याय की विश्वशांति जलयात्रा के लिए ही गया। यह देश भारतखंड (हिन्दुकुश) का एक हिस्सा था। अभी भी है। इस देश और भारत में बहुत जुड़ाव सा दिखता है। इसमें उत्तर पूर्वी राज्यों तथा बंगाल से आना-जाना आज भी है, जबकि कांटेदार बाड़ लग गई है। लोगों का आना-जाना जब यह पूरा भारतवर्ष ही था, तब जैसा तो नहीं है; लेकिन आने-जाने वाले आज भी वैसे ही आ-जा

बांग्लादेशी विस्थापितों का पुनर्वासघर है भारत (Photo-Norad)
विस्थापन व विश्वयुद्ध से बचाव हेतु विश्वशांति जल-साक्षरता यात्रा : नेपाल
हिन्दुकुश के आठ देशों में से दो देश पाकिस्तान व चीन, इसके संचालन के लिए भारत में इसका मुख्यालय नहीं बनने देना चाहते हैं। इसलिए यह संगठन उतना प्रभावशाली नहीं रहा। इस काम को गति देने के लिए हिन्दुकुश हिमालय यात्रा आयोजित करना आवश्यक है ।
Posted on 30 Jan, 2023 01:07 PM

नेपाल के काठमाण्डु में 5 दिसम्बर 2017 से 7 दिसम्बर 2017 तक एक हिन्दुकुश देशों का सम्मेलन हुआ था। इसमें भूटान, चीन, भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और हिमालय से जुड़े सभी देशों के सरकारी व गैर-सरकारी प्रतिनिधि मौजूद थे। नेपाल की राष्ट्रपति ने इस सम्मेलन का उद्घाटन किया था। हिमालय से पलायन होना बड़ी समस्या है। सभी ने हिमालय की हरियाली और नदियों के प्रवाह को बनाये रखने हेतु बातचीत की थी। सभी के

विस्थापन व विश्वयुद्ध से बचाव हेतु विश्वशांति जल-साक्षरता यात्रा : नेपाल
पाकिस्तान में पर्यावरण संकट 
पाकिस्तान भारत का पड़ोसी देश है। लेकिन यहां कुदरत की हिफाज़त करने की चिंता भारत जैसी दिखाई नहीं देती।  इस देश में भी कमोबेश चीन जैसी स्थिति नजर आती है। आजादी के बाद यहां भी भौतिक व आर्थिक विकास तो नजर आता है, जिसके कारण प्रकृति (कुदरत) में बिगाड़ बहुत तेजी से नजर आ रहा है। मैंने अपनी यात्राओं के दौरान इस देश में जलवायु परिवर्तन का बहुत बिगाड़ देखा है।
Posted on 28 Jan, 2023 04:35 PM

पाकिस्तान भारत का पड़ोसी देश है। लेकिन यहां कुदरत की हिफाज़त करने की चिंता भारत जैसी दिखाई नहीं देती।  इस

पाकिस्तान में  जलवायु परिवर्तन के कारण ये विनाशकारी घटनाएं अधिक से अधिक आम होती जा रही हैं
मध्य एशिया में विश्वशांति जलयात्रा
मध्य एशिया, अफ्रीका व यूरोप में विश्व जल शांति यात्रा का पहला चरण सम्पन्न हुआ है। इसमें स्पष्ट रूप में समझ आया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण ही विस्थापन बढ़ रहा है। यही लड़ाई झगड़ों का मूल कारण बन रही हैं। इस यात्रा का लक्ष्य एशिया-अफ्रीका के देशों में जाकर, उनको मजबूरी में विस्थापन (उजाड़) कम करने हेतु समझना-समझाना और उन्हें जल सहेजने में लगाना है। जिससे इनके पास हमेशा जल उपलब्ध रहे।
Posted on 28 Jan, 2023 12:47 PM

फिलीस्तीन, इजराइल, जॉर्जिया, अजरबैजान, इराक, तुर्किस्तान, कुवैत, ईरान, सऊदी अरब, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान, अफगानिस्तान, उज्बेकिस

मध्य एशिया में विश्वशांति जलयात्रा, (Pc-Ap news)
फिलिस्तीन को इजराइली प्रौद्योगिकी ने बेपानी बनाया है
घर खाली, पर दिल भरा हुआ, रेगिस्तानी गाजा क्षेत्र के घर में जाकर उनकी बकरी, भेड़, ऊंट सभी की मिश्रित सुगन्ध मेरे जैसे किसानी करने वाले वैद्य को मोह लेती है। मेरी पढ़ाई के दिनों में भेषज कार्यशाला जैसी औषधि सुगंध से भरा घर है, मेरा विद्यार्थी जीवन का मुझे यहां स्मरण आ गया
Posted on 27 Jan, 2023 02:53 PM

बहुत सीधी-सरल, बड़े दिल वाली फिलिस्तीनी बहिन आइदा शिबली और साड़ दागेर मेरे अद्भुत दोस्त बन गए हैं। यहां मे

फिलिस्तीनी क्षेत्रों में पड़ा सूखा (source -flicker india waterportal)
नदी के नाम पर बना देश जॉर्डन
जॉर्डन नदी के नाम पर बना देश जॉर्डन। यह अपनी नदी का ही पानी नहीं ले पाया है। 26 फरवरी 2015 को इजराइल समझौते के बाद कुछ जल जॉर्डन नदी व देश को मिला है। ऐसा एक समझौता, इजराइल व जॉर्डन सरकार के बीच हुआ। जॉर्डन प्राकृतिक रूप से इजराइल और फिलिस्तीन की अपेक्षा नदी के कारण समृद्ध राष्ट्र है। लेकिन पड़ोसी देश इजराइल की अनैतिकता और अन्याय ने जॉर्डन नदी की हत्या कर दी है। नदी और जॉर्डन देश को जल ही नहीं दिया व सारा जल अपने कब्जे में कर लिया। लम्बी लड़ाई के बाद एक आधा-अधूरा समझौता तो हुआ, लेकिन उसके अनुसार ठीक से जलापूर्ति के लिए जॉर्डन को बहुत कोशिश करनी पड़ी ही है।
Posted on 25 Jan, 2023 12:29 PM

जॉर्डन नदी (हिब्रू: נהר הירדן‎, अरबी: نهر الأردن‎, डच: Jordaan rivier) पश्चिम एशिया के देश जॉर्डन की 251-किलोमीटर लंबी नदी है। यह नदी मृत सागर में सागर-संगम करती है। फिलहाल यह इज़राइल की पूर्वी सीमा का निर्धारण करती है। ईसाई परम्परा के अनुसार जॉन बैपटिस्ट ने इसी नदी में ईसा की बपतिस्मा करी थी। जॉर्डन जिसे आधिकारिक तौर पर हेशमाइट किंगडम ऑफ जॉर्डन कहते हैं। जॉर्डन नदी के नाम पर बना ही बना है

स्वाल यात्रा
इजराइल : जल अनैतिकता और अन्याय ही विस्थापन, विश्वयुद्ध को बुला रहा है
अनैतिकता और अन्याय करके जल प्रसिद्धि प्राप्त करने वाला देश इजराइल है। इसने जॉर्डन नदी के जल पर, जॉर्डन देश के साथ जल समझौता तो 26 फरवरी 2015 को किया है। इससे पहले तो अपने पड़ोसी देशों के जल पर कब्जा किए ही था। उसी में कुछ फेर-बदल करके अभी दबाव का समझौता जॉर्डन से कर लिया है। फिलिस्तीन अब भी इजराइल से ही जल खरीद कर जीता है। फिलिस्तीनी इसके डर से लाचार-बेकार बनकर अपना देश छोड़ने हेतु मजबूर हैं। जॉर्डन और फिलिस्तीन के विस्थापन का मूल कारण इजराइल की तकनीक है। यह इसे दुनिया को बेचकर पैसे वाला बन गया और फिर पड़ोसी देशों की जॉर्डन नदी के जल पर ही पूरा कब्जा करके दुनिया में अपने आप पानीदार बन गया। जॉर्डन और फिलिस्तीन को बेपानी बनाकर उन्हीं का जल अपने मनमाने भाव पर बेचकर पैसे वाला भी बना है। पैसा और प्रसिद्धि भी पा ली है। यह सब अनैतिक तकनीक से मिली है। इसकी अनैतिकता ने स्वयं को स्वयंभू बना लिया है। पड़ोसियों को उजाड़ दिया है।
Posted on 25 Jan, 2023 12:13 PM

अनैतिकता और अन्याय करके जल प्रसिद्धिऔर पैसा प्राप्त करने वाला देश इजराइल है। इसने जॉर्डन नदी के जल पर, जॉर्डन देश के साथ जल समझौता तो 26 फरवरी 2015 को किया है। इससे पहले तो अपने पड़ोसी देशों के जल पर कब्जा किए ही था। उसी में कुछ फेर-बदल करके अभी दबाव का समझौता जॉर्डन से कर लिया है। फिलिस्तीन अब भी इजराइल से ही जल खरीद कर जीता है। फिलिस्तीनी इसके डर से लाचार-बेकार बनकर अपना देश छोड़ने हेतु मजबूर

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