पूनम नेगी
वाटर हार्वेस्टिंग सहेजें बारिश की बूँदें (Rainwater Harvesting Essay In Hindi)
Posted on 25 Jul, 2017 12:37 PM
दुनिया की बड़ी आबादी आज भी पीने के पानी के लिये जद्दोजहद कर रही है। वैज्ञानिकों के मुताबिक जल संकट भविष्य में बड़ी समस्या होगी। उस स्थिति से निपटने के लिये अगर अभी से तैयारी नहीं की गई तो परिणाम भयंकर हो सकते हैं। रेन वाटर हार्वेस्टिंग ऐसी ही कोशिश है जिसके जरिए वर्षाजल का संचयन कर उसका इस्तेमाल कर हम अपनी जरूरतों को पूरा कर सकते हैं।
आज दुनिया भर में पानी का संकट तेजी से गहराता जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि स्थितियाँ न सुधरीं तो 2025-30 तक विश्व की 50 फीसदी आबादी भयंकर जलसंकट झेलने को मजबूर होगी। जलसंकट से निपटने का सबसे कारगर तरीका है वर्षाजल संचयन। ‘बूँद-बूँद से सागर भरता है’, इस कहावत को सच कर दिखाया है रेनवाटर हार्वेस्टिंग तकनीक से बारिश की बूँदों को सहेजने वाली इन सराहनीय कोशिशों ने-
63 वर्षीय श्यामजी जाधव राजकोट (गुजरात) के बहुत कम पढ़े लिखे किसान हैं पर जल संरक्षण को लेकर उनके प्रयास अच्छे अच्छों को मात देते हैं। उनकी सौराष्ट्र लोक मंच संस्था ने साधारण वर्षाजल संरक्षण संयंत्रों का प्रयोग कर समूचे गुजरात के लगभग 3 लाख खुले कुओं और बोरवेलों को बारिश के पानी से पुनर्जीवित कर दिया है।
पर्यावरण संरक्षण की अनूठी पहल
Posted on 24 Sep, 2010 01:23 PMदिन-ब-दिन बिगड़ते पर्यावरण की समस्या केवल सम्मेलनों से हल नहीं हो सकती, इसके लिए सबसे जरूरी है जन जागरूकता।
प्रकृति को सहेजने की कोशिश
Posted on 13 Jan, 2012 05:11 PM75 साल के सत्यदेव सगवान ने सेना की नौकरी करते समय प्रकृति एवं पर्यावरण के साथ भावनात्मक नाता जोड़ा। अपने परिश्रम से उन्होंने हरियाणा और राजस्थान के कई इलाकों को हरा-भरा किया है। अपने घर पर ही 2500 पौधों की नर्सरी तैयार की है। इनमें वट, पीपल, खेजड़ी, नीम, जामुन व कदम के पौधे हैं। सत्यदेव जी यह कहकर कि पेड़ भूमि क्षरण रोकने व वर्षा की स्थिति बेहतर करने साथ ही भूमंडल से ब्रह्मांडीय संपर्क भी सकारात्मक एवं सहज करते हैं, लोगों को पौधे रोपने के लिए प्रेरित करते हैं।
इंसान के क्षुद्र स्वार्थ ने पर्यावरण का गंभीर संकट पैदा कर दिया है। इस कारण कब बाढ़ आ जाए, और कब सूखे की मार पड़ जाए या कहां भूकम्प आ जाए, कहा नहीं जा सकता। इसका एकमात्र जिम्मेदार प्राणी मानव है और इसके निदान के लिए जलवायु सम्मेलनों से ही बात नहीं बनेगी। देश-दुनिया का पर्यावरण बचाने के लिए सभी को दिल से कोशिश करनी होगी जैसे गढ़वाल क्षेत्र की की डॉ. हर्षंवती बिष्ट, नैनीताल के वनखंडी महाराज, राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के स्कूल शिक्षक दिनेश व्यास और हरियाणा के 75 वर्षीय सत्यदेव सगवान कर रहे हैं।पर्यावरण संरक्षण की अनूठी पहल
Posted on 06 Jan, 2011 11:56 AMदिन-ब-दिन बिगड़ते पर्यावरण की समस्या केवल सम्मेलनों सेहल नहीं हो सकती, इसके लिए सबसे जरूरी है जन जागरूकता।
इसी का प्रतीक है 'अर्थपावर' अभियान जो हमारी मानसिकता बदलने की बात करता है। 'अर्थपावर' पर्यावरण को बचाने का ऐसा सकारात्मक अभियान है, जिसका इतिहास केवल तीन साल पुराना है। इतिहास में कम ही ऐसे अभियान हुए हैं, जिनको इतने कम समय में इतनी अधिक लोकप्रियता एवं जन समर्थन मिला है।