प्रो. उदय कांत चौधरी

प्रो. उदय कांत चौधरी
शक्ति-संतुलित जल-संसाधन व्यवस्था : भारत-समृद्धि का समीकरण
Posted on 15 May, 2012 01:22 PM भारत जल-संसाधन सम्पदा में काफी समृद्ध है, फिर भी पेय जल के लिए सर्वत्र हाहाकार मचा है। बड़े-बड़े बांधों का निर्माण निरंतर जारी है। बंधियों की लम्बाई भी बढ़ती जा रही है। इसी अनुपात में विनाशलीला भी बढ़ती चली जा रही है। लाखों, करोड़ों की सम्पत्ति तथा असंख्य लोगों की तबाही हर वर्ष अवश्यम्भावी हो गयी है। मृदाक्षरण के प्रकोप से हजारों एकड़ जमीन हर वर्ष नष्ट हो रही है। गांव का गांव उजड़ता चला जा रहा है।
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