प्रभात ओजस्वी

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शुष्क क्षेत्र के लिए एक मात्रिक जल संतुलन निदर्शन
Posted on 03 Jan, 2012 05:50 PM जलविज्ञान संबंधी जल संतुलन मॉडल अधिक प्रभावी होते हैं यदि उनमें किसी क्षेत्र के भौतिक लक्षणों का परिवलयन भी किया गया हो। जैसे कि मृदा-आर्द्रता आकलन प्रक्रिया जो कि वर्षा-अपवाह की गणना में अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। इस प्रकार की गणना में सम्येक राशि की स्थिति (जैसे मासिक या वार्षिक काल) में प्रत्ययात्मक या मासिक मॉडल अधिक उपयोगी होते हैं।
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