Posted on 06 Feb, 2011 08:53 AM एक जमाने की मशहूर साप्ताहिक पत्रिका धर्मयुग में कार्टून कोना डब्बूजी के रचनाकार एवं कई लोकप्रिय साहित्यिक कृतियों के रचयिता आबिद सुरती पिछले तीन साल से हर रविवार को सुबह नौ बजे अपने साथ एक प्लम्बर (नल ठीक करनेवाला) एवं एक महिला सहायक (चूंकि घरों में अक्सर महिलाएं ही दरवाजा खोलती हैं) लेकर निकलते हैं, और तब तक घर नहीं लौटते, जब तक किसी एक बहुमंजिला इमारत के सभी घरों के टपकते नलों की मरम्मत करवाकर उनका टपकना बंद नहीं करवा देते। मुंबई के पांचसितारा होटलों में अक्सर अजब-गजब चीजें देखने को मिल जाती हैं। ऐसा ही एक नजारा कुछ दिन पहले सामने आया, जब दुनिया में पानी बचाने की मुहिम चलानेवाली एक संस्था ने शाम को मीडिया के सामने अपना कारोबार पेश किया। कंपनी के कर्ता-धर्ताओं के साथ वहां सिनेमा जगत की मशहूर हस्तियां भी थीं, जो शायद भविष्य में जलसंरक्षण पर कोई फिल्म बनाकर आस्कर अवार्ड की किसी श्रेणी में नामित होने का स्वांग रचती दिखाई देंगी। हो सकता है, जल संरक्षण के नाम पर गंभीर प्रयास करने के एवज में उन्हें मैगसेसे या नोबल जैसे अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से भी नवाज दिया जाए। प्रेस कॉन्फ्रेंस के उपरोक्त स्वांग के बाद पांच सितारा संस्कृति के एक जरूरी रिति-रिवाज़ के रूप में लगभग