नंदलाल धाकरे ‘मधुर’

नंदलाल धाकरे ‘मधुर’
जलमेव जीवनम
Posted on 07 Mar, 2016 03:38 PM



बहुत हो चुकी हैं चर्चाएं, राजा की और रानी की।
एक नई कविता गाएं हम, इस धरती पर पानी की ।।

अंतरिक्ष के कोटि ग्रहों में, धरती ग्रह अलबेला है।
यहाँ देवता वरूण रूप धर, अविरल जल का खेला है ।।

अनुपम ग्रह धरती है यहाँ पँच तत्व का मेला है ।
जीवन मरण जहाँ दोनों हैं, ऐसा केन्द्र अकेला है ।।
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