नौशाद आलम

नौशाद आलम
सामुदायिक वन प्रबंधन से जंगलों का लौटाया जीवन
Posted on 01 Aug, 2012 05:48 PM
डम-डमा-डम-डम-डम, वन की रक्षा अपनी सुरक्षा
वनों का न करो नाश, जीवन हो जाएगा सत्यानाश
डम-डमा-डम-डम-डम, वन की रक्षा अपनी सुरक्षा


रऊफ अंसारी ने वनों की सुरक्षा व संवर्धन के लिए गांव वालों को संगठित करने की मुहीम शुरू की। पंचायत मुख्यालय डमडोईया गांव के चौपाल पर ग्रामीणों की बैठक बुलाई। बैठक में जंगल की सुरक्षा व संवर्धन की बात उठाई, तो सबने उनका समर्थन किया। राजेश्वर मोची और बलि महतो उनकी मुहीम के अहम कड़ी बने। राजेश्वर ने बैठक में ही जंगलों की सुरक्षा को लेकर प्रचार-प्रसार का बीड़ा उठाया। बलि महतो ने जंगल बचाने के लिए आजीवन जंगल की सुरक्षा में लगे रहने का वचन दिया। गांव के अन्य लोगों ने भी उन्हें साथ देने का वादा किया।

जंगल बचाने के लिए 36 वर्षीय राजेश्वर मोची का प्रचार का तरीका थोड़ा अलग है। वह अपने बाएं कंधे से लटकाए ढाक के ताल से तान मिलाकर लोगों से जंगल बचाने की गुजारिश करते फिरता है। वह ढाक बजाकर लोगों को बड़े ही अनोखे अंदाज में यह बताता है कि जंगल जीवन के लिए जरूरी है। अगर जंगल नहीं बचेंगे तो जीवन भी संकट में पड़ जाएगा।
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