मयंक श्रीवास्तव

मयंक श्रीवास्तव
नदी
Posted on 30 Aug, 2015 12:35 PM
आह भरती है नदी
टेर उठती है नदी
और मौसम है कि उसके
दर्द को सुनता नहीं।

रेत बालू से अदावत
मान बैठे हैं किनारे
जिन्दगी कब तक बिताए
शंख सीपी के सहारे
दर्द को सहती नदी
चीखकर कहती नदी
क्या समंदर में नया
तूफान अब उठता नहीं।

मन मरूस्थल में दफन है
देह पर जंगल उगे हैं
तन बदन पर कश्तियों के
खून के धब्बे लगे हैं
ग्लोबल वार्मिंग का धरती पर प्रभाव
Posted on 30 Dec, 2014 07:24 AM
यदि वर्तमान गति से पर्यावरण प्रदूषण जारी रहा तो आने वाले 75 वर्षों
global warming
बढ़ता तापमान घटती पैदावार
Posted on 12 Nov, 2014 03:57 PM
अगर देखा जाए तो विश्व की करीब एक चौथाई जमीन बंजर हो चुकी है और यही
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