मनीष वैद्य
पानी : पेटलावद हादसे के सबब और सबक
Posted on 18 Sep, 2015 11:31 AMसदियों से हमारी नदियों और कुओं से सहज रूप में खेतों को मिलने वाले पानी की जगह अब गाँव–गाँव सैकड़
उद्योगों से भूजल प्रदूषित, लोग बीमार
Posted on 18 Sep, 2015 11:26 AMकलाबाई ने अपने 13 साल के बेटे को हमारे सामने खड़ा कर दिया और बताया कसभ्यता की वाहक है नदी
Posted on 17 Sep, 2015 09:51 AMविश्व नदी दिवस, 27 सितम्बर 2015 पर विशेष
नदी और समाज के बीच कई हजारों साल पुराना मजबूत और आत्मीय किस्म का रिश्ता रहा है। अब तक का इतिहास देखें तो दुनिया की तमाम सभ्यताएँ नदियों के किनारे ही पली–बढ़ी और अतिश्योक्ति नहीं होगी कि नदियों के कारण ही सैकड़ों सालों तक उनका अपना अस्तित्व भी बना रहा।
पानी : साक्षरता बनाम देशज ज्ञान
Posted on 07 Sep, 2015 11:08 AMविश्व साक्षरता दिवस 08 सितम्बर 2015 पर विशेष
पानीदार समाज ; पढ़ने–लिखने से ज्यादा गुनना जरूरी
Posted on 04 Sep, 2015 09:54 AMविश्व साक्षरता दिवस 08 सितम्बर 2015 पर विशेष
खत्म हो गए कुएँ-कुण्डियाँ उलीचने का दौर
Posted on 31 Aug, 2015 03:23 PMसमय के साथ हमने अपने जन-जीवन से कई महत्त्वपूर्ण चलन रिवाज से बाहर कर दिये। हमने इन्हें चलन से निकालने से पहले यह भी नहीं सोचा कि इनके नहीं निभाने पर हमें किन–किन बड़े संकटों से गुजरना पड़ सकता है और हमारे समाज में यदि ये रिवायत रही थी तो इसके पीछे कितना गहरा अनुभव का ज्ञान रहा होगा।
मिट्टी की मूर्तियाँ ही बचा सकती हैं नदियों को
Posted on 27 Aug, 2015 01:13 PMअब मिट्टी की मूर्तियाँ ही हमारे पर्यावरण और नदियों को बचा सकती है। बीते सालों में प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियों ने जिस तरह से हमारी नदियों के पानी को दूषित ही नहीं बल्कि उसे जहरीला तक किया है, उसने अब सरकारों को भी चिन्ता में डाल दिया है। अब तक पर्यावरण के क्षेत्र मे
लौटना ही होगा जैविक खेती की ओर
Posted on 24 Aug, 2015 01:44 PMभारत में जैविक खेती की अवधारणा नई नहीं है। हमारे यहाँ परम्परा से इसी तरह से ही खेती होती रही है। स्वतन्त्रता मिलने के बाद देश की खाद्यान स्थिति में आत्म निर्भर बनने के लिए साठ–सत्तर के दशक में हरित क्रान्ति के तहत खेती के परम्परागत तरीकों में तब्दीलियाँ की गई। इससे कृषि उत्पादन में भले ही हमने अपेक्षाकृत उपलब्धियाँ हासिल कर ली हो पर लम्बे समय बाद इसके बुर