मीरा सीकरी

मीरा सीकरी
पानी रे पानी
Posted on 13 Sep, 2010 12:14 PM

सालों पहले दक्षिण भारत जाना हुआ था। वहां जाने का मतलब था, विविध रंग-रूपों छवियों में समुद्र को देखना। लौटी तो स्मृति में केवल समुद्र नहीं था। था तो समुद्र-मूर्ति-कला और अध्यात्म के अद्भुत समंजन को सम्मोहित मन।

सालों के अंतराल के बाद पूछ रहा था- ‘केरल के बैक वाटर्ज गए हो?’

एकदम हां या ना में जवाब देना संभव नहीं था क्योंकि मन में यह तो था कि जरूर समुद्र से संबंधित ही यह जल-प्रसार होगा लेकिन उसकी कोई निश्चित छवि आंखों में नहीं थी। आंखों में तो समुद्र की विविध छवियां आ रही थीं।

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