कुसुम कार्णिक

कुसुम कार्णिक
लकड़ी का टाल नहीं है जंगल
Posted on 06 Sep, 2011 11:19 AM

भीमशंकर वनों में निवास करने वाला यह समाज न्यूनतम उपभोग वाली ऐसी जीवनशैली का पालन करता है, जिसमें सब कुछ बहुत मितव्यय से इस्तेमाल किया जाता है। उनके घर पत्थर और मिट्टी के बने होते हैं और इन लोगों के पास कुछ बहुत आवश्यक वस्तुएं ही होती हैं। वे ऐसे आत्मीय समुदायों में रहते हैं जहां आपसी सहयोग ही जीवन जीने का तरीका है। वे एक साथ योजना बनाते हैं और फिर सब मिलकर एक साथ काम करते हैं।

महाराष्ट्र के पुणे जिले में सुदूर पश्चिम घाट के अत्यधिक वर्षा वाले पहाड़ी ढलान में अम्बेगांव विकास खंड में स्थित है भीमशंकर वन। यह एक अनछुआ, बारहमासी, चार तलीय वन है जहां बादल भी अठखेलियां करते नजर आते हैं। यहां की उपजाऊ मिट्टी उथली है। उसके नीचे कठोर चट्टानें। यहां भूगर्भ जल है ही नहीं। इसलिए यदि एक बार ये वन नष्ट हो गए तो उनका दोबारा फलना-फूलना बहुत कठिन है। यहां पर चलने वाली तेज हवाओं और भारी भूक्षरण को ये वन संभाल लेते हैं। ऊंचे पेड़, छोटे पेड़, घनी झाड़ियां, घास आदि मिलकर वर्षा के जल को अपने में समाहित कर यहां की कीमती मिट्टी को भी बहने से बचाते हैं।

महादेव कोली समाज यहां सदियों से निवास कर रहा है। उसने ऐसी जीवनशैली व दर्शन को अपना लिया है, जो कि यहां के पर्यावरण
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