कुलदीप शर्मा

कुलदीप शर्मा
साफ पानी का सपना, सपना ही रहेगा
Posted on 22 Dec, 2015 10:57 AM

पानी : सुखद खबरें

नदियों के रिश्ते की तैयारी
Posted on 08 Jan, 2015 04:08 PM
उत्तर भारत की जिन नदियों को दक्षिण भारत की नदियों से जोड़ने की बात
बिन मानसून सब सून
Posted on 16 Jul, 2013 10:22 AM
मानसून मात्र गर्मी की तपिश से राहत दिलाने का ही नाम नहीं है। यह तो संपूर्ण ऋतु चक्र का आधार और जीवन को जीवंत करती सच्चाई है। लंबे समय से पपड़ाई, प्यासी धरती, मुरझाई और कुम्हलाए, अलसाए जीवों को गति देने का सहारा है मानसून। मानसून लरजा-गरजा तो पौं बारह, रूठा तो सब गुड़ गोबर। इधर वैज्ञानिक ने बादलों को बरबस बरसाने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त की है। प्रस्तुत है मानसून से जुड़े ऐसे ही
गर्माते जल स्रोतों की खोज खबर
Posted on 22 Nov, 2011 09:09 AM

अगर स्वयं मानवीय प्रयास न हों तो झीलों की मृत्यु यानी लुप्त होना तय हो जाता है। इस दिशा में वर्ष 2004 में अहमदाबाद की कांकरिया झील में हुआ हादसा उल्लेखनीय है जहां बड़ी संख्या में मछलियां और अन्य जीव मौत की गोद में जा समाए थे। कांकरिया झील में डूबती मत्स्य विविधता ने भारत के मत्स्य विशेषज्ञों, पर्यावरणविदों और सरकार तक को झकझोर दिया था। दुनिया भर का पर्यावरण संतुलन बिगड़ रहा है।

नासा की ताजा रिपोर्ट कहती है कि वर्ष 2060 तक धरती का औसत तापमान चार डिग्री बढ़ जाएगा, जिससे एक तरफ प्राकृतिक जलस्रोत गर्माने लगेंगे, वहीं लोगों का विस्थापन भी बढ़ेगा। पर्यावरण में आ रहे बदलावों से जूझने के लिए हर तरफ प्रयास हो रहे हैं। पिछले दिनों अमरीकी वैज्ञानिकों द्वारा पहली बार चौंकाती रिपोर्ट प्रस्तुत की है कि लगातार बढ़ता ताप धरती की अपेक्षा उसके जल स्रोतों को तेजी से गर्म कर रहा है, जो धरती के ताप में बढ़ोतरी का प्रमुख कारण है। इस दिशा में नासा के वैज्ञानिकों ने विश्व स्तर पर विभिन्न देशों की 104 विशाल झीलों तथा अन्य जल स्रोतों का उपग्रहीय अध्ययन किया है। रिपोर्ट बताती है कि पर्यावरणीय असंतुलन और बढ़ती सौर ऊर्जा के कारण इन जल स्रोतों का ताप धरातल से गर्माहट संजोकर समूचे स्रोत को उबाल रहा है। इसका प्रभाव आसपास के तापमान पर भी पड़ा है। प्रभाव मैदानी क्षेत्र के वातावरण पर भी है जो ताप में घट बढ़ कर मौसम में उलटफेर कर रहा है। भारत के जल स्रोत भी इसकी चपेट में हैं। रिपोर्ट चौंकाते तथ्य प्रस्तुत करती है कि 1985 से यह असर दिख रहा है। तब यह ताप बढ़ोतरी 1.1 डिग्री सेल्सियस आंकी गई थी जो अब ढाई गुना बढ़ गई है।

सफर में है मानसून
Posted on 20 Jun, 2011 03:43 PM

मानसून पूर्व ही वर्षा वायुमंडल में छोटे पैमाने पर पड़ने वाली भंवरों के कारण होती है। पश्चिम बंग

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