Posted on 12 Feb, 2011 10:39 AM 1984 में ऑफशोर पॉवर सिस्टम नामक एक कंपनी ने 80 अरब रुपए खर्च करने के बाद किए गए करार को रद्द करते हुए इस असफल योजना को हमेशा-हमेशा के लिए बंद कर दिया था। इस तरह जो योजना अमेरिका में शुरू हुई और वहां ठप्प भी हो गई, उसे अब रूस आगे ले जा रहा है और पूरी दुनिया में उसे फैलाकर भारी लाभ कमाने की तैयारी कर रहा है। ये तैरते हुए अणुबम न जाने कितनों को डुबोएंगे!अभी तो हम जमीन पर बने-खड़े परमाणु बिजलीघरों की कई सारी समस्याओं में उलझे पड़े हैं और इधर इनको समुद्र में उतारने की तैयारी भी चल निकली है। जिस दिमाग ने जमीन पर इन्हें बनाया है और बेहद सुरक्षित बताया है, वही जुबान समुद्र में तैरने वाले परमाणु बिजलीघरों को भी एक आदर्श बिलकुल निरापद योजना बता रही है। एक बार ये बन गए तो फिर हमारे जैसे देशों में उसी ढंग से बेचे जाएंगे जैसे परमाणु ऊर्जा करार ने हमें अपने बिजलीघर टिका दिए हैं। तैरते हुए परमाणु संयंत्रों के निर्माण की एक योजना पर काम शुरू हो चुका है। इसे बना रहा है रूस। उसने इस काम के लिए अपने उत्तरी और पूर्वी तटों का विशेष रूप से चयन भी कर लिया है। योजना सफल हो गई तो वह भविष्य में इनको पूरी दुनिया को बेचने की तैयारी भी कर रहा है।