ज्योतिका सूद

ज्योतिका सूद
क्या शीत लहर प्राकृतिक आपदा नहीं है ?
Posted on 21 Jul, 2011 04:36 PM

पूर्व में की गई अनेक अनुशंसाओं के बावजूद शीतलहर को प्राकृतिक आपदाओं की श्रेणी में न डालना भारत

दुर्लभ बीजों का रखवाला
Posted on 24 Dec, 2012 02:12 PM
देश में खेती छोटे किसानों के हाथों से छूटकर बड़े निजी कारर्पोरेट घरानों के कब्जे में जा रही है। यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। सरकारी नीतियों और कार्यक्रमों से पीढ़ियों से खेती में लगे हमारे किसानों के हजारों वर्षो के ज्ञान, उनके द्वारा अपनाए जा रहे खेती के नए-नए तरीकों और जैव विविधता को ही धीरे-धीरे नष्ट कर दिया है। ऐसे में देबल देब जैस लोगों के प्रयास भले ही छोटे नजर आए पर देश के खाद्य उत्पादन प्रक्रिया के पर्यावरणीय व सामाजिक रूप से ठप्प हो जाने पर देश में भोजन की पूर्ति के लिए ये कदम काफी महत्वपूर्ण होंगे। ओडिशा के रायगड़ा जिले में एक बसाहट के बाहर केरोसीन लैंप से रोशन, दो कमरों वाली झोपड़ी, इस आदिवासी इलाके में किसी दूसरे किसान की झोपड़ी की ही तरह है। पर इस झोपड़ी के अंदर घुसते ही, एक कोने में, खाट के नीचे रखे, परची लगे हजारों मिट्टी के बरतन देखकर आप हैरान हो जायेंगे। इन बरतनों में चावल की 750 से ज्यादा दुर्लभ प्रजातियों का खजाना है। इस बीज बैंक के रखवाले हैं- देबल देब। जो पिछले 16 सालों से इन दुर्लभ प्राकृतिक बीजों का संग्रहण एवं संरक्षण कर रहे हैं। उनका एकमात्र सहारा वे किसान हैं जो आज भी इन्हीं विरासती बीजों पर निर्भर हैं। झोपड़ी से ही लगा हुआ उनका एक छोटा- सा खेत है, जहां देब अपने बीजों को संरक्षित करने के लिये इन प्रजातियों को उगाते हैं। यह जमीन बमुश्किल आधा एकड़ है। मतलब साफ है देब को हर प्रजाति के लिये कोई चार वर्ग मीटर की जमीन मिल पाती है जिसमें वे धान की सिर्फ 64 बालियां उगा सकते हैं।
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