जनसत्ता
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असम में बड़े बांधों के विरोध में प्रदर्शन
Posted on 15 Jul, 2010 10:35 AMब्रह्मपुत्र नदी पर बड़े बांधों का निर्माण रोकने की मांग को लेकर बुधवार को गुवाहाटी में अयोजित किसान रैली को संबोधित करते कृषक मुक्ति संग्राम के महासचिव अखिल गोगोईयमुना को बचाने के लिए व्यापक अभियान
Posted on 05 Jul, 2010 12:00 PMनई दिल्ली, 4 जुलाई (जनसत्ता)। नागरिक परिषद यमुना को बचाने का व्यापक अभियान शुरू करेगी। परिषद के अध्यक्ष वीरेश प्रताप चौधरी ने रविवार को दिल्ली में इस बारे में विशेषज्ञों और सामाजिक कार्यकर्ताओं व बुद्धिजीवियों की बैठक बुलाई। इस मौके पर यहां एक संगोष्ठी का भी आयोजन हुआ जिसमें पर्यावरणविद, जल-विशेषज्ञों और पूर्व नौकरशाहों सहति कई राजनेताओं व गैरसरकारी संगठनों ने जमना-सफाई पर अपने अनुभव और विचार रखे।गंगा को बचाने का एक और भगीरथ प्रयास
Posted on 25 Jun, 2010 09:06 AMहरदोई, 24 जून (जनसत्ता)। गंगा जैसी पवित्र नदी को बचाने के लिए एक बार फिर भगीरथ निकल पड़े हैं। ये वे भगीरथ हैं जो जन-जन से गंगा बचाने के लिए सहयोग मांग रहे हैं। बिलग्राम के पास स्थित राजघाट पर सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता आचार्य नीरज अपने साथियों के साथ गंगा पुत्रों की तलाश में पहुंचे और लोगों को जागरुक किया।नदी जिस राज्य से बहती है, उसी का हकः बादल
Posted on 22 Jun, 2010 03:45 PMरतवाड़ा साहिब (पंजाब), 17 जून (भाषा)। हरियाणा के साथ नदी के जल के बंटवारे पर रॉयल्टी को लेकर चल रही बहस के बीच पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने गुरुवार को कहा कि दुनियाभर में रिपेरियन सिद्धांत के मुताबिक नदियों के जल पर उस राज्य या क्षेत्र का अधिकार होता है, जिसमें वह वास्तव में बहती हैं।बादल ने कहा कि पंजाब के लिए पानी एक प्राकृतिक संसाधन है, जिस तरह कि मध्य प्रदेश और झारखंड में कोयले की खानें हैं। राजस्थान के पास संगमरमर का प्रचुर भंडार है और अन्य कई राज्यों में लौह अयस्क हैं। ये राज्य इन प्राकृतिक संसाधनों के लिए रॉयल्टी ले रहे हैं। बादल ने कहा कि कि जब इन राज्यों को इन प्राकृतिक संसाधनों के
सूखते जलाशय
Posted on 17 Jun, 2010 09:04 AMपरंपरागत जल स्रोतों, वन क्षेत्रों और वन्य जीवों की सुरक्षा के दावे तो सरकारें बहुत करती हैं, पर हकीकत यह है कि इनसे संबंधित प्रयास घोषणाओं तक महदूद रह जाते हैं। पर्याप्त ध्यान न दिए जाने की वजह से अनेक झीलें, तालाब और दूसरे जल-स्रोत सूखते जा रहे हैं। जयपुर, उदयपुर आदि शहरों में पुरानी झीलों, तालाबों की उपेक्षा के कारण उनके सूखते जाने और फिर सरकार की मंजूरी से उन पर रिहाइशी और व्यावसायिक भवनो