इन्द्रपाल सिंह
इन्द्रपाल सिंह
बादल
Posted on 08 Sep, 2015 10:24 AMबहुरूपिये बादल को भी, हमने स्वांग रचाते देखा।आसमान से उतर उतर कर, पार समंदर जाते देखा।
कभी -कभी पर्वत बन जाता, जाकर कभी कहीं छिप जाता
पवन दूत के आगे -आगे, इसको दौड़ लगाते देखा।
बहुरूपिये बादल को भी, हमने स्वांग रचाते देखा।
ये बादल है बड़ा सयाना, इसको हमने अब पहचाना।
इस बादल को भरी दुपहरी, हमने रंग जमाते देखा।