हर्षनाथ पाण्डेय

हर्षनाथ पाण्डेय
अब पछताये होत क्या
Posted on 11 May, 2017 01:09 PM

भारत गाँवों का देश है; बात गाँवों से ही शुरू होती है। आज से कुछ दशकों पूर्व तक हमारे गाँव बाग-बगीचों, कुओं, तालाबों, आहरों, पोखरों से भरे पड़े थे। मुझे अपने बचपन की बातें याद हैं प्रत्येक किसान का एक बगीचा अवश्य होता था, उसमें इनारा, पोखरा होते थे जोकि गर्मी के दिनों में बगीचा के पटवन एवं पशु-पक्षियों को पीने के तालाब का काम देते थे तथा गाँव आच्छादित थे। आज उन जगहों पर बड़े-बड़े भवन खड
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