गीताश्री

गीताश्री
जहाँ मीठा पानी एक सपना है
Posted on 27 Oct, 2010 12:46 PM
चेतावनी जारी हो गई है। पता नहीं हम कहाँ जाएंगे। वह मंदिर जहाँ छह महीने पहले तक घंटियां गूंजा करती थी, वह चाय की छोटी दूकान जहाँ लोग चाय पर अपनी सुबहे, शामें बांटा करते थे...सब डूबने के इंतजार में हैं। बांध नंगे हो चुके हैं। तूफानी हवा, और खारे पानी को रोकने वाले मैन्ग्रूव जंगल गायब है। उसकी जड़े जो मजबूती से जमीन को पकड़ कर रखती थी वे उजड़ चुकी हैं। पानी को आना है, द्वीप को उसी तरह डूबना है जैसे कुछ साल पहले सागर आईलैंड के पास का एक द्वीप लोहाछाड़ा डूब गया था।अनादि राय दरार पड़े खेत की तरफ फटी फटी आंखों से देख रहा है। वहाँ से उसकी निगाहें खारे पानी के तालाब की तरफ जाती है और उसकी आंख में तालाब का खारा पानी भर जाता है।

डूबते द्वीप के साथ उसका दिल भी डूब रहा है। ना फटी जमीन का कोई रफूगर है ना उसकी फूटी किस्मत का।

गीली आंखों से देखता है, दूर से उसकी माँ गैलन में मीठा पानी लेकर चली आ रही है। चाची छवि राय अपनी बेटी को पुकार रही है...वह जिस द्वीप पर है वहाँ कुछ भी अनुकूल नहीं है...जीवन हर पल खतरे में। छह महीने पहले आए समुद्री चक्रवात आइला ने उनके समेत पूरे द्वीप के लोगो का जीवन तबाह कर दिया है। खेतों में खारा पानी क्या घुसा, किस्मत में दरारे पड़ गई। अब तीन साल तक गाँव में कोई खेती नहीं हो पाएगी। जमीन फटी रहेगी। कोई फसल नहीं उग सकती। तालाब ना जाने कब अपने खारेपन से उबरेगा। मीठा पानी एक सपना है। घर अब भी वैसे ही टूटे हैं, किसी भी रात गाँव का कोई एक सदस्य गायब हो सकता है।
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