डॉ. सुरेश मिश्र

डॉ. सुरेश मिश्र
बुरहानपुर की मुगलकालीन जलप्रदाय व्यवस्था
Posted on 25 Jan, 2010 05:41 PM
मध्यकाल में भारत में कई शहरों का विकास हुआ जिनमें कुछ शहर प्रांतों की राजधानी थे, कुछ व्यापार या शिल्प के केन्द्र थे और कुछ सैनिक मह्त्त्व के शहर थे। इन विशाल शहरों में उस समय जलपदाय की कुशल व्यवस्था थी और उसके लिए प्राकृतिक नियमों और उस समय प्रचलित तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता था। मध्यप्रदेश को ही लें, तो पन्द्रहवीं और सोलहवीं सदी में माण्डू एक विशाल शहर था और वहाँ जलसंग्रहण की पारम्परिक व्यवस्थ
क्या नदियों को जोड़ा जा सकता है?
Posted on 27 Jan, 2010 03:27 PM
3 अक्टूबर 2002 को माननीय उच्चतम न्यायालय ने केन्द्रीय सरकार से कहा है कि वह देश की नदियों को दस साल के भीतर जोड़ने के बारे में विचार करे। इस समाचार ने उन सब को चौंका दिया है, जो पानी से जुड़े सवालों के बारे में सोचते रहे हैं। नदियों को जोड़ने के प्रस्ताव के लिए यह दलील दी जाती है कि देश के कुछ भागों में तो पानी की कमी है, और कुछ भाग बाढ़ से पड़ित रहते हैं। इसका हल यही है कि ज्यादा पानी वाली नदी घा
भाग 2
Posted on 26 Jan, 2010 08:28 AM

जाली करंज असल में लालबाग में ऐसा संगम है जहाँ सूखा भण्डारा, मूल भंडारा और चिंताहरण का जल आकर एकत्र होता था। मुगलकाल में ‘जाली करंज’ से बुरहानपुर को पानी प्रदाय किया जाता था। यह पानी पकी मिट्टी और तराशे गये पत्थर के पाइपों के जरिये नगर के विभिन्न करंजों और वाटर टावरों में पहुंचाया जाता था। पानी के दबाव से पकी मिट्टी के पाइप फट न जायें इसलिए इन पाइपों के आसपास चूना, गारा और ईंट की मोटी चिनाई कर द

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