डॉ. दिनेश मिश्र
डॉ. दिनेश मिश्र
दुर्घटना का जिम्मेवार कौन है?
Posted on 20 Aug, 2012 11:50 AMबांध के टूट जाने से इस पैसे से किये, या न किये गये काम का सारा सबूत मिट गया और बाढ़ नियंत्रण न
पूर्वी कोसी तटबन्ध की नवहट्टा (1984) दरार
Posted on 20 Aug, 2012 10:19 AMसुरक्षित स्थानों की तलाश में कुछ लोग सहरसा भागे तो कुछ लोगों ने दूर जाकर मानसी-सहरसा रेल लाइन
पूर्वी कोसी तटबन्ध का बहुअरवा कटाव (1980)
Posted on 17 Aug, 2012 11:30 AM1984 में एक एन्क्वायरी हुई थी। तब तक रिटायर्ड लाइन वगैरह सब बन चुकी थी। सारा काम खत्म हो चुका
भटनियाँ अप्रोच बांध का टूटना (1971)
Posted on 14 Aug, 2012 11:16 AMकोढ़ली की रिटायर्ड लाइन बनने के बाद भटनियाँ के नजदीक कोसी की गोबरगढ़ा धार से एक उप-धारा निकली
जमालपुर जल-समाधि (1968)
Posted on 14 Aug, 2012 10:23 AMतटबन्धों के अन्दर की सारी फसल मारी गई और बड़ी तादाद में घर गिरे। कोसी और कमला की सहायक धाराओं
दरार जो नहीं पड़ी-कुनौली (1967)
Posted on 13 Aug, 2012 02:53 PMएक बार जब डलवा में तटबन्ध की दरार को पाट दिया गया तब पश्चिमी तटबन्ध पर नदी के हमले डलवा से थोड़ा नीचे भारत-नेपाल सीमा पर कुनौली के पास शुरू हुये। यहाँ कोई दुर्घटना नहीं हुई और परेशानी भी बहुत ज्यादा नहीं हुई क्योंकि कुनौली भारत में अवस्थित है। इस तरह नेपाल प्रकरण से लोग बचे हुये थे। खर्च और दरार पड़ने का दबाव जरूर अपनी जगह पर था।तटबन्ध का अलाइनमेन्ट-तकनीक नहीं, जनमत संग्रह
Posted on 13 Aug, 2012 09:56 AMइस तरह से रंगमंच पर अब सारे पात्रा इकट्ठे थे। एक तरफ वह लोग थे जो चाहते थे कि पश्चिमी तटबन्ध को पूरब की ओर ठेल दिया जाय। दूसरी ओर वह थे जो पूरबी तटबन्ध को पश्चिम की ओर ठेलने की मांग कर रहे थे। अगर यह दोनों मांगें मान ली जाती हैं तो बीच में नदी के पानी के बहाव के लिए जगह बहुत कम बचती है और इसलिए तटबन्धों के बीच में रहने वाले लोगों की मांग थी कि अव्वल तो तटबन्ध बनें ही नहीं और अगर उसका निर्माण एकदमसरकार द्वारा विरोध दबाने के लिये सशस्त्र पुलिस उतारने की धमकी
Posted on 13 Aug, 2012 09:46 AMआन्दोलन के अन्य जगहों पर फैलने के अन्देशे से सरकार ने पुलिस बन्दोबस्त को पूरा मजबूत करके रखा थ
पूर्वी तटबन्ध पर भी लोग तटबन्ध के बाहर रहना चाहते हैं
Posted on 11 Aug, 2012 11:50 AMजब पूरब और पश्चिम वाले दोनों तटबन्धों के बीच सामूहिक पंचलत्ती पड़ने के कारण फासले कम होने लगे