डॉ. भीष्म कुमार
डॉ. भीष्म कुमार
जल संसाधन के क्षेत्र में समस्थानिक तकनीकों का प्रयोग-एक नवीन युक्ति
Posted on 28 Dec, 2011 04:55 PMसमस्थानिक ऐसे तत्वों के परमाणु होते हैं जिनकी परमाणु संख्या समान होती है लेकिन परमाणु भार भिन्न होते हैं। समस्थानिक रेडियोएक्टिव एवं स्थायी प्रकृति के हो सकते हैं। आजकल, पर्यावरणीय समस्थानिक (स्थायी एवं रेडियोएक्टिव) का जल विज्ञानीय अन्वेषणों के लिए काफी उपयोग हो रहा है। समस्थानिक जलविज्ञान जल संसाधन विकास एवं प्रबंधन में ट्रेसर्स के अनुप्रयोग का विज्ञान है।
समस्थानिक तकनीकों द्वारा टिहरी जलाशय से जल रिसाव के स्रोतों का आंकलन
Posted on 26 Dec, 2011 09:23 AMटिहरी बाँध का निर्माण गंगा की मुख्य सहायक नदी भागीरथी पर किया गया है। टिहरी बाँध की ऊंचाई 855 फीट (260.5 मी.) है तथा यह विश्व का पाँचवा एवं एशिया क्षेत्र में सबसे ऊँचा, मृदा व चट्टानों से निर्मित बाँध है। वर्तमान में टिहरी बाँध प्रचालन स्थिति में है। बाँध के अनुप्रवाह एवेटमेंट में जल दबाव कम करने के लिए जल निकासी गैलरियों का एक जाल निर्मित किया गया है। जलाशय के भराव एवं खाली होने के दौरान विभिन्नउदयपुर में स्थित झामरकोटरा खनन क्षेत्र का भू-विज्ञानीय अध्ययन
Posted on 23 Dec, 2011 02:56 PMखनिज संसाधन भूगर्भ से निकाले जाने वाले वे पदार्थ हैं जो प्राकृतिक व रासायनिक सहयोग से बनते हैं। खनिज कुछ निश्चित स्थानों पर ही मिलते हैं। भारत में खनिजों का वितरण असमान है। उत्तरी मैदानों में खनिजों की कमी पाई जाती है क्योंकि यहाँ आधार शैलों पर नदियों द्वारा मिट्टी जमा कर दी गई है। हिमालयी क्षेत्रों में भी खनिजों की कमी है एवं इनका खनन मंहगा पड़ता है। यहाँ अधिकतर खनिज पदार्थ प्रायद्वीप भारत में मिजल-भूजल अनोखे गुण एवं भविष्य की चुनौतियाँ
Posted on 12 Aug, 2023 02:20 PMयह सर्वविदित और अकाट्य सत्य है कि हवा के बाद पानी ही मनुष्य की सर्वाधिक महत्वपूर्ण आवश्यकता है लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि पानी की जानकारी मनुष्य को हवा से पहले हुई। इसका कारण यह है कि हवा तो स्वतः ही शरीर में आती जाती रहती है तथा सर्व विद्यमान है लेकिन पानी को प्राप्त करने के लिए हमें प्रयास करना पड़ता हैं लेकिन यह बड़े ही आश्चर्य की बात है कि सबसे पहले जानकारी में आने वाला पानी आज भी