डा. गुलाब सिंह बघेल

डा. गुलाब सिंह बघेल
भारतीय वनों का समग्र मूल्यांकन
Posted on 19 Mar, 2016 01:08 PM

वन ‘आदि-संस्कृतियों’ के लिये वरदान थे इसीलिये भारत की प्राचीन संस्कृति को ‘अरण्य संस्कृति’ के नाम से भी जाना जाता था। वनों की गोद में उपजी और पर्यावरण के अति निकट-सहचर्य में पल्लवित तथा पुष्पित संस्कृति का स्वरूप आज इतना विकृत हो गया है कि पहाड़ों की पीठ पर उगे जंगल धीरे-धीरे समाप्त होते जा रहे हैं। जबकि वन जीवन के लिये अपरिहार्य हैं। लेखक का कहना है कि किसी भी देश की वन सम्पदा उस देश के
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