द बेटर इण्डिया
द बेटर इण्डिया
घरों तक पहुँची धाराएँ
Posted on 10 Sep, 2016 12:06 PMएक वक्त था जब बासु देवी का पूरा दिन पीने का पानी लाने में ही निकल जाता था। उसे तो याद भी नहीं है कि कितने घंटे वो पानी की जद्दोजहद में बिता देती थी। बासु देवी के लिये घरेलू जरूरतों का पानी लाना किसी संघर्ष से कम न था लेकिन उसके संघर्ष के दिन अब लद गए हैं। पानी के लिये अब बासु देवी के माथे पर शिकन नहीं दिखती। उसके घर में अब टैंक लग गया है जिसमें पानी स्टोर किया जाता है। अब वो ज्यादा वक्त अपने पोते-पोतियों के साथ बिताती हैं और घरों को साफ-सुथरा रखती हैं। कुछ वर्ष पहले तक उत्तराखण्ड के 133 गाँवों में रहने वाले कम-से-कम 50 हजार लोगों के लिये पानी की उपलब्धता एक बड़ी समस्या थी।
उन्हें रोज पानी के लिये जूझना पड़ता था लेकिन अब स्थितियाँ बदल गई हैं। अब घरेलू इस्तेमाल और पीने के लिये पानी घरों में मिल रहा है। इन गाँवों में रहने वाले लोगों को शुद्ध पेयजल आसानी से पा जाना किसी सपने के सच होने से कम नहीं था लेकिन कुछ संगठनों और स्थानीय लोगों के प्रयास से असम्भव को सम्भव किया गया। किया यह गया कि धारा से निकलने वाले पानी को पाइप के जरिए टैंकों तक लाया गया जहाँ से लोगों को पानी की आपूर्ति की जा रही है।
उत्तराखण्ड के टिहरी जिले के चूड़ेधार की रहने वाली 50 वर्षीया बासु देवी इस व्यवस्था की लाभान्वितों में से एक हैं। वे कहती हैं, ‘यह टैंक मेरे लिये बैंक की तरह है। जिस तरह बैंक से बहुत जरूरत पड़ने पर भी नियमित मात्रा में ही रकम निकाली जाती है उसी तरह मैं भी इस टैंक से जरूरत पड़ने पर ही नियमित मात्रा में पानी निकालती हूँ।’