भवानीप्रसाद मिश्र
भवानीप्रसाद मिश्र
नर्मदा के चित्र
Posted on 07 Sep, 2013 12:49 PMनष्ट नहीं सौंदर्य कभी उनके लेखे,जिनके प्राणों में एक सदृश-श्री-शक्ति है,
वैसे ही जैसे गुलाब का महकता
जीवन जीवित है बिखरे-भी दलों में।
नष्ट हुई चीजों के ऊपर एक कुछ
है प्रकाश ऐसा ही, जो जाता नहीं;
धुँधला है इतने प्रकाश की झलक है,
जितनी भरने और बहने के बीच में
देखी जाती है दुखिया की आँख में!
भिन्न भिन्न मिस हैं जिनसे निज रूप को
कुछ ऐसी तान सुनाने वाला कवि
Posted on 09 Nov, 2012 11:44 AMसाफ धुला खद्दर का कुर्ता-पाजामा पहने, सिर पर तिरछी टोपी दिए, कभी किसी समाज में पहुंच जाते तो बड़े से बड़ा आदमी छ