ब्र. सुमित धनराज

ब्र. सुमित धनराज
काश, आज बाबा साहब होते
Posted on 19 Jul, 2010 07:15 PM

सदियां गुजर गईं, पर अपने देश में सिर पर मैला ढोने की कुप्रथा आज भी चलती जा रही है। आजादी के 62 सालों के बाद भी यह मध्ययुगीन सामंती चलन हमारे कई छोटे-बड़े शहरों और कस्बों से पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। राजगढ़, भिंड, टीकमगढ़, उज्जैन, पन्ना, रीवा, मंदसौर, नीमच, रतलाम, महू, खंडवा, खरगौन, झाबुआ, छतरपुर, नौगांव, निवाड़ी, सिहोर, होशंगाबाद, हरदा, ग्वालियर, सागर, जबलपुर जैसे मध्य प्रदेश के अनेक शहरों
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