बी.सी. पन्त

बी.सी. पन्त
मेरी व्यथा सुन ले हे! इन्सान
Posted on 22 Dec, 2015 02:36 PM

नमस्कार दोस्तों, मैं तुम्हारा मित्र पानी हूँ,

मैं जहाँ हूँ, वहाँ जीवन है, खुशहाली है, हरियाली है,
मैं तुम्हारे हर काम में भागीदार हूँ-चाहे वे छोटे-छोटे काम हों
या बड़े-बड़े “डाम”
तुम्हारी रसोई से लेकर, टाॅयलेट व स्नानागार तक,
सफाई-धुलाई से लेकर, खेत-खलिहान तक,
रेलगाड़ी से लेकर, हवाई-जहाज तक,
हेयर सैलून से लेकर, कल-कारखानों तक
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