Posted on 28 Nov, 2009 04:03 PMजोहिला, सोन संगम पर स्थित दशरथ घाट की धुधंली सी स्मृति मानस में अभी भी अंकित है। बात काफी पुरानी है, तब मैं दोस्तों के साथ दशरथ घाट का मेला देखने गया था और उस स्थान की विशेषता को नहीं जिसकी वजह से जहां मेला भरा होता है। अमृता प्रीतम की कविता की भाषा में कहना हो तो-‘‘मुझे वह समय याद है-जब धूप का एक टुकड़ा सूरज की उंगली थाम कर अंधेरे का मेला देखता, उस भीड़ में कहीं खो गया.....’’ लेकिन सरसरी अवलोकन म