अवधेश कुमार नेमा

अवधेश कुमार नेमा
भू-जल संग्रह दोहावली
Posted on 28 Jul, 2011 03:03 PM

धरती माँ की कोख में, जल के हैं भंडार।
बूंद-बूंद को तड़प रहे, फिर भी हम लाचार।।

दोहन करने के लिये, लगा दिया सब ज्ञान।
पुनर्भरण से हट गया, हम लोगों का ध्यान।।

गहरे से गहरे किये, हमने अपने कूप।
रही कसर पूरी करी, लगा लगा नलकूप।।

जल तो जीवन के लिए, होता है अनमोल।
पर वर्षा के रूप में,मिलता है बेमोल।।

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