अतुल जैन

अतुल जैन
जल अनुशासन ही समाधान
Posted on 16 May, 2010 08:57 AM

सरकार ने जीवन के हर क्षेत्र में समाज को अपने ऊपर निर्भर बनाने की कोशिश की है। सस्ता विकल्प था समाज की पहल से तालाब, कुएं, बेरियां खुदवा कर समाज के सुपुर्द कर देना। आज भी बिप्रासर का तालाब इसलिए सिर उठाए खड़ा है, क्योंकि वहां के समाज ने उसके आगोर में कोई अतिक्रमण स्वीकार नहीं किया।

राजस्थान के 33 में से 26 जिले अकालग्रस्त घोषित किए जा चुके हैं। जैसलमेर और बाड़मेर तो अनंतकाल से ही 'सूखाग्रस्त' रहे हैं, लेकिन वहां पानी के लिए कभी दंगा नहीं हुआ, जैसा इंदिरा गांधी नहर का लाभ पा रहे श्रीगंगानगर, बीकानेर या हनुमानगढ़ में हुआ। यहां के समाज ने कमतर पानी की उपलब्धता के साथ जीना सीखा है। पानी के परिवहन के बजाय पानी के अनुशासन के साथ जीना सीखा है। ऎसा नहीं कि बीकानेर, श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ के लोगों में ये गुण नहीं थे। वे भी उतने ही गुणवान रहे हैं और अनुशासित भी। लेकिन नहर के झुंझुने ने उनका अनुशासन बहुत पहले तोड़ दिया।
×