अरुण तिवारी

अरुण तिवारी
दिल्ली जल बोर्ड - बदहाल आपूर्ति, तरक्की पर भ्रष्टाचार
Posted on 17 Oct, 2017 10:14 AM


मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लिये यह याद करने का एकदम सही वक्त है कि यदि पानी के बिल में छूट का लुभावना वायदा आम आदमी पार्टी के लिये दिल्ली विधानसभा की राह आसान बना सकता है, तो दिल्ली जलापूर्ति की गुणवत्ता और मात्रा में मारक दर्जे की गिरावट तथा मीटर रीडरों की कारस्तानियाँ राह में रोड़े भी अटका सकती हैं।

 

दिल्ली जल बोर्ड
क्यों बारहमासी हो गया जल रुदन
Posted on 12 Oct, 2017 04:45 PM

Perennial water crisis in India

पानी
कृषि लागत घटाने की भी सोचें
Posted on 22 Jun, 2017 12:36 PM

उर्वरक व कीटनाशकों से मुक्ति का एक ही उपाय है, वह है जैविक खा
Agriculture
हरित जलवायु कोष : कितना लेना, कितना देना
Posted on 20 Jun, 2017 12:29 PM

अरब सागर गर्म होता है, तो क्या इसका असर भारत के मानसून पर नही
climate change
जलवायु समझौता : ट्रम्प रुख का वैश्विक असर
Posted on 20 Jun, 2017 11:57 AM

यदि भारत कार्बन उत्सर्जन घटाने के अपने लक्ष्य पर संजीदगी से ड
climate summit
तीन साल : गंगा बदहाल
Posted on 01 Jun, 2017 11:28 AM


चार जून - गंगा दशहरा पर विशेष

.चार जून को गंगा दशहरा है। ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी अर्थात गंगा अवतरण की तिथि। कहते हैं कि राजा भगीरथ को तारने गंगा, इसी दिन धरा पर आई थी। जब आई, तो एक चक्रवर्ती सम्राट होने के बावजूद, राजा भगीरथ स्वयं गंगा का पायलट बनकर रास्ते से सारे अवरोध हटाते आगे-आगे चले। गंगा को एक सम्राट से भी ऊँचा सम्मान दिया। धरती पुत्र-पुत्रियों ने गंगा की चरण-वन्दना की; उत्सव मनाया। परम्परा का सिरा पकड़कर हम हर साल गंगा उत्सव मनाते जरूर हैं, किंतु राजा भगीरथ ने जैसा सम्मान गंगा को दिया, वह देना हम भूल गये। उल्टे हमने गंगा के मार्ग में अवरोध ही अवरोध खड़े किए। वर्ष 1839 में गंगा से कमाने की पहला योजना बनने से लेकर आज तक हमने गंगा को संघर्ष के सिवा दिया क्या है? हमने गंगा से सिर्फ लिया ही लिया है। दिया है तो सिर्फ प्रदूषण, किया है तो सिर्फ शोषण और अतिक्रमण।

Ganga
दुष्काल मुक्ति को चाहिए समग्र प्रयास
Posted on 30 May, 2017 01:19 PM

आंकड़े कह रहे हैं कि भारत के 32 फीसदी इलाकों में उपयोगी जल की
famine
कितना स्वच्छ : स्वच्छ भारत अभियान
Posted on 28 May, 2017 10:13 AM


गौर कीजिए हर घर में शौचालय हो; गाँव-गाँव सफाई हो; सभी को स्वच्छ-सुरक्षित पीने का पानी मिले; हर शहर में ठोस-द्रव अपशिष्ट निपटान की व्यवस्था हो - इन्हीं उद्देश्यों को लेकर दो अक्तूबर, 2014 को स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की गई थी। कहा गया कि जब दो अक्तूबर, 2019 को महात्मा गाँधी जी का 150वां जन्म दिवस मनाया जाये, तब तक स्वच्छ भारत अभियान अपना लक्ष्य हासिल कर ले; राष्ट्रपिता को राष्ट्र की ओर से यही सबसे अच्छी और सच्ची श्रृद्धांजलि होगी। इस लक्ष्य प्राप्ति के लिये 62,009 करोड़ का पंचवर्षीय अनुमानित बजट भी तय किया गया था। अब हम मई, 2017 में हैं। अभियान की शुरुआत हुए ढाई वर्ष यानी आधा समय बीत चुका है। लक्ष्य का आधा हासिल हो जाना चाहिए था। खर्च तो आधे से अधिक का आंकड़ा पार करता दिखाई दे रहा है। कितने करोड़ तो विज्ञापन पर ही खर्च हो गये। इस कोशिश में शौचालय तो बढ़े, लेकिन क्या स्वच्छता बढ़ी?

Sanitation
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