अरुण तिवारी

अरुण तिवारी
नाउम्मीद स्वामी सानंद, फिर गंगा अनशन की राह पर
Posted on 11 Mar, 2018 01:38 PM


स्वामी श्री ज्ञानस्वरूप सानंद को उम्मीद थी कि भारतीय जनता पार्टी जब केन्द्र की सत्ता में आयेगी, तो उनकी गंगा माँगें पूरी होंगी। अपना पिछला गंगा अनशन, उन्होने इसी आश्वासन पर तोड़ा था। यह आश्वासन तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष श्री राजनाथ सिंह द्वारा दिया गया था।

20 दिसम्बर, 2013 को वृंदावन के एक भवन में पुरी के शंकराचार्य स्वामी श्री निश्चलानंद जी ने अपने हाथों से जल पिलाकर आश्वस्त किया था कि राजनाथ जी ने जो कहा है, वह होगा। किन्तु स्वामी जी व्यथित हैं कि वह आज तक नहीं हुआ।

स्वामी सानंद
नदी संस्कृति - जानना जरूरी क्यों
Posted on 04 Mar, 2018 12:13 PM

21वीं सदी में हम नदियों को माँ कहते जरूर हैं, लेकिन नदियों को माँ मानने का हम
Arun tiwari
कीटनाशक - प्रोत्साहन बेहतर या नियमन
Posted on 19 Feb, 2018 03:22 PM


कीटनाशकों को लेकर एक फैसला, पंजाब के कृषि एवं कल्याण विभाग ने बीती 30 जनवरी को लिया; दूसरा फैसला, 06 फरवरी को उत्तर प्रदेश की कैबिनेट ने। उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने कीट रोग नियंत्रण योजना को मंजूरी देते हुए जैविक कीटनाशकों और बीज शोधक रसायनों के उपयोग के खर्च का 75 प्रतिशत तथा लघु-सीमांत किसानों को कृषि रक्षा रसायनों, कृषि रक्षा यंत्रों तथा दाल, तिलहन व अनाजों के घरेलू भण्डार में काम आने वाली बखारों (ड्रमों) पर खर्च का 50 प्रतिशत अनुदान घोषित किया।

कीटनाशक का छिड़काव करता किसान
कितना पानीदार केन्द्रीय बजट (2018-19)
Posted on 16 Feb, 2018 02:14 PM

महाराष्ट्र राज्य की मात्र 20 प्रतिशत कृषि भूमि ही सिंचित क्षेत्र में है। स्पष
river water
नमामि गंगे - बन्द करो निर्मलता का नाटक
Posted on 25 Jan, 2018 11:28 PM


अब यह एक स्थापित तथ्य है कि यदि गंगाजल में वर्षों रखने के बाद भी खराब न होने का विशेष रासायनिक गुण है, तो इसकी वजह है इसमें पाई जाने वाली एक अनन्य रचना। इस रचना को हम सभी ‘बैक्टीरियोफेज’ के नाम से जानते हैं।

बैक्टीरियोफेज, हिमालय में जन्मा एक ऐसा विचित्र ढाँचा है कि जो न साँस लेता है, न भोजन करता है और न ही अपनी किसी प्रतिकृति का निर्माण करता है। बैक्टीरियोफेज, अपने मेजबान में घुसकर क्रिया करता है और उसकी यह नायाब मेजबान है, गंगा की सिल्ट।

गंगा
एक मेला परिंदों के नाम
Posted on 06 Jan, 2018 02:01 PM

तारीख - 09 जनवरी 2018,
स्थान - शेखा झील, अलीगढ़, उत्तर प्रदेश
आयोजक - हरीतिमा पर्यावरण सुरक्षा समिति, अलीगढ़


सालिम अली की संगत के एक मौके ने अलीगढ़ के रहने वाले सुबोधनंदन शर्मा की जिन्दगी का रास्ता बदल दिया। श्री सुबोधनंदन शर्मा, आज आजाद परिंदों को देख खुश होते हैं; कैद परिंदों को देख उन्हें आजाद कराने की जुगत में लग जाते हैं। बीमार परिंदा, जब तक अच्छा न हो जाये; सुबोध जी को चैन नहीं आता। परिंदों को पीने के लिये साफ पानी मिले। परिदों को खाने के लिये बिना उर्वरक और कीटनाशक वाले अनाज मिले। परिंदों को रहने के लिये सुरक्षित दरख्त... सुरक्षित घोसला मिले। पक्षी बन उड़ती फिरूँ मैं मस्त गगन में,
आज मैं आजाद हूँ दुनिया के चमन में...

आसमान में उड़ते परिंदों को देखकर हसरत जयपुरी ने फिल्म चोरी-चोरी के लिये यह गीत लिखा। लता मंगेशकर की आवाज, शंकर जयकिशन के संगीत तथा अनंत ठाकुर के निर्देशन ने इस गीत को लोगों के दिल में बैठा दिया। परिंदों को देखकर ऐसी अनेक कवि कल्पनाएँ हैं; ''पिय सों कह्ये संदेसड़ा, हे भौंरा, हे काग्..'' - मलिक मोहम्मद जायसी द्वारा पद्मावत की नायिका नागमती से कहे इन शब्दों से लेकर हसरत जयपुरी के एक और गीत ''पंख होते तो उड़ आती रे, रसिया ओ जालिमा..'' (फिल्म सेहरा) तक। परिंदों को देखकर आसमान में उड़ने के ख्याल ने ही कभी अमेरिका के राइट बन्धुओं से पहले हवाई जहाज का निर्माण कराया।
bird
हिमालय का अनुपम व्याख्यान
Posted on 26 Dec, 2017 12:09 PM


श्री अनुपम मिश्र जी कागज से लेकर जमीन तक पानी की अनुपम इबारतें लिखने वाली शख्सियत थे। उनकी देह के पंचतत्वों में विलीन जाने की तिथि होने के कारण 19 दिसम्बर हम सभी पानी कार्यकर्ताओं तथा लेखकों के लिये खास स्मरण की तिथि है। किन्तु अनुपम सम्बन्ध में 22 दिसम्बर का भी कोई महत्त्व है; यह मुझे ज्ञात न था। मैं, श्री अनुपम मिश्र के जन्म की तिथि भी पाँच जून को ही जानता था। बाद में पता चला कि पाँच जून तो सिर्फ स्कूल में लिखा दी गई तिथि थी।

प्रथम अनुपम व्याख्यान
एक बहस - छत्तीसगढ़ भूजल प्रतिबन्ध (farmers are denied groundwater extraction)
Posted on 11 Nov, 2017 04:07 PM


05 नवम्बर 2017 को एक एजेंसी के हवाले से छपी एक खबर के मुताबिक, छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने रबी की फसलों के लिये भूजल के उपयोग पर प्रतिबन्ध लगा दिया है। राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ में धान की खेती पर प्रतिबन्ध का भी आदेश जारी कर दिया गया है। छत्तीसगढ़ किसान सभा इसका कड़ा विरोध कर रही है।

छत्तीसगढ़ में किसानों को भूजल के इस्तेमाल पर प्रतिबन्ध
यह न्यू इण्डिया है...
Posted on 03 Nov, 2017 10:42 AM

1. पानी


बूँदा है, बरखा है,
पर तालाब रीते हैं।
माटी के होंठ तक
कई जगह सूखे हैं।
भूजल की सीढ़ी के
नित नए डण्डे टूटे हैं।
गहरे-गहरे बोर ने
कई कोष लूटे हैं।
शौचालय का शोर भी
कई स्वच्छ जलकोष लूटेगा।

स्वच्छ नदियों का गौरव
बचा नहीं शेष अब,
हिमनद के आब तक
पहुँच गई आग आज,
मौसम की चुनौती

water
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