अंशु सिंह
अंशु सिंह
संकट में जल योद्धा बनीं बसंती
Posted on 18 Dec, 2012 03:28 PMउत्तराखंडवासियों के लिए जीवनदायिनी मानी जाने वाली कोसी नदी और क्षेत्र के वनों पर मंडराते खतरे के बादल हटाने के लिए बसंती के अभियान ने रंग दिखाया।अल्मोड़ा को पानी की जरूरत कोसी नदी से पूरी होती है। कोसी वर्षा पर निर्भर नदी है। गर्मियों में अक्सर इस नदी में जल का प्रवाह कम हो जाता है। उस पर से वन क्षेत्र में आई कमी से स्थिति बेहद गंभीर हो जाती है। बसंती इन तमाम समस्याओं को देख-समझ रही थीं। उन्हें महसूस हुआ कि अगर जंगलों की कटाई नहीं रोकी गई और जंगलों में लगने वाली आग को फैलने से नहीं रोका गया तो दस वर्ष में कोसी का अस्तित्व खत्म हो जाएगा। ऋषि कश्यप ने सहस्त्राब्दी पहले पानी और जंगलों के बीच सहजीवी रिश्ते की बात प्रतिपादित की थी। कहने का मतलब यह है कि अगर जंगल रहेंगे तभी नदी का अस्तित्व भी रहेगा। उत्तराखंड में कोसी नदी जीवनरेखा पानी जाती है लेकिन जंगलों की बेतहाशा कटाई और शहरीकरण ने पानी संग्रह करने के कई परंपरागत ढांचों को बर्बाद कर दिया। कई जल स्रोत सूख गए। इसका असर हुआ कि शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक में जल संकट की स्थिति पैदा हो गई। लोगों की प्यास बुझाना मुश्किल होने लगा। हालांकि विपदा की इस घड़ी में बसंती नामक एक जल योद्धा ने नदी जल संरक्षण की कमान संभाली और जंगलों की रक्षा का प्रण किया।
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सामुदायिक खेती की ओर शहरी भारत
Posted on 10 Dec, 2018 05:37 PMजैविक खेती (फोटो साभार: सिक्किम ऑर्गेनिक मिशन) हम सभी रसायन मुक्त, पौष्टिक खाद्य सामग्री का सेवन करना चाहते हैं लेकिन हालात ऐसे बन चुके हैं कि किसी भी तरह के आहार की गारंटी नहीं कि वह सेहत के लिये उपयुक्त ही है। तेजी से बढ़ती जीवन शैली सम्बन्धी बीमारियाँ इसका प्रमाण हैं। अब शहरी भारत ऑर्गैनिक फ
![जैविक खेती (फोटो साभार: सिक्किम ऑर्गेनिक मिशन)](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/organic%20farming_0_16.jpg?itok=Z2QJvFxY)
पहिया पानी
Posted on 27 Oct, 2013 04:26 PMभारत के कई ग्रामीण इलाकों में पानी काफी दूर-दूर से लाना पड़ता है। घड़े, मटके और नए आए प्लास्टिक के घड़े भी महिलाओं को सिर पर उठाकर ही चलना पड़ता है। कई जगहों पर तो महिलाओं को 5-10 किलोमीटर दूर से भी जरूरत का पानी लाना पड़ता है। इस काम में उन्हें रोजमर्रा के कई-कई घंटे लगाने पड़ते हैं। घर की औरतों के अलावा बच्चियों को भी इस काम में लगाया जाता है। बच्चियों की शिक्षा-दिक्षा और स्वास्थ्य काफी प्
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