अंजु चौधरी

अंजु चौधरी
जल के उपयोग एवं प्रदूषण में उद्योगों की भूमिका (The role of industry in water use and pollution)
Posted on 01 Feb, 2016 02:41 PM

जल समाचारदुनिया की बेतहाशा बढ़ती आबादी ने सम्पूर्ण विश्व में जल पर
सुदूर संवेदी विधि द्वारा ऊपरी कोलाब जलाशय में अवसादन का निर्धारण
Posted on 01 May, 2012 03:04 PM पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए समस्त प्राकृतिक सम्पदाओं में से जल सबसे महत्वपूर्ण एवं आवश्यक सम्पदा है। भविष्य में प्रत्येक प्राणी मात्र के लिए उचित मात्रा में जल उपलब्ध हो सके इसलिए इसका उचित भंडारण, संरक्षण एवं प्रबंधन करना अति आवश्यक है। जल के भंडारण के लिए जलाशय एक महत्वपूर्ण संरचना है। इन जलाशयों में समय के साथ-साथ अवसादन का जमाव एक प्रमुख समस्या है। इस समस्या से निपटने एवं जल
भारत के भूजल में आर्सेनिक प्रदूषण : प्रमुख तथ्य
आर्सेनिक की उत्पत्ति आर्सेनोपाइराईट, ऑपींमेंट, रियलगर, क्लुडेटाइट, आर्सेनोलाइट, पेंटोक्साइड, स्कॉरोडाइट आर आर्सेनोपालेडाइटे जैसे खनिजों से हो सकती है। हालांकि, आर्सेनोपाइराइट को ज्यादातर शोधकर्ताओं द्वारा उल्लेखित किया गया है एवं यह भूजल में आर्सेनिक की अशुद्धि उत्पन्न करने वाला एक प्रचुर मात्रा में उपलब्ध खनिज है। रेडॉक्स नियंत्रित वातावरण के तहत, यह आर्सेनिक तलछट (सेडीमेंट) से भूजल में निर्मुक्त हो जाता है। हिमालयी नदियों के डेल्टाई क्षेत्रों में पीने के पानी के स्रोतों में आर्सेनिक संदूषण देखने में आता है। इसकी वजह यह है कि हिमालय की चट्टानों से बहते पानी में आर्सेनिक घुलता जाता है। Posted on 15 Jun, 2024 03:38 PM

एक लंबी अवधि में अकार्बनिक आर्सेनिक की उच्च सांद्रता के सेवन से आर्सेनिकोसिस नामक क्रोनिक आर्सेनिक विषाक्तता हो सकती है। आर्सेनिक युक्त जल के सेवन से लक्षणों को विकसित होने में वर्षों का समय लगता है एवं यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि एक्सपोज़र का स्तर क्या है?

आर्सेनिक से स्वास्थ्य समस्याएं, फोटो साभार - ढाका ट्रिव्यून
भारत के पंजाब राज्य में भूजल प्रदूषकों फ्लोराइड, आयरन और नाइट्रेट प्रभावित क्षेत्रों का मानचित्रण
तीव्र गति से बढ़ते कृषि विकास, औद्योगीकरण और शहरीकरण के परिणामस्वरूप भूजल संसाधन के स्रोतों पर दवाव बढ़ रहा है जिसके परिणामस्वरूप भूजल संसाधनों का अतिदोहन और संदूषण हुआ है। उत्तरी भारत में लगभग 109 घन किमी भूजल की हानि हुई है जिसके कारण बंगाल की खाड़ी में समुद्र के जल स्तर में वृद्धि हुई है। पंजाब में फ्लोराइड और नाइट्रेट की मात्रा भटिंडा और फरीदकोट जिलों में क्रमशः 10 मिलीग्राम/लीटर और 90 मिलीग्राम/लीटर तक पायी है। प्राकृतिक रूप से होने वाले फ्लोराइड की उच्च सांद्रता ने दक्षिणी और उत्तर पश्चिमी भारत में लगभग 66 मिलियन लोगों को प्रभावित किया है। Posted on 14 Jun, 2024 07:03 PM

जलवायु परिवर्तन एवं अन्य प्राकृतिक परिवर्तनों के परिपेक्ष में भूजल संसाधन, जल के महत्वपूर्ण संसाधन हैं हालांकि कुछ प्राकृतिक एंव कुछ मानव जनित कारणों ने इन संसाधनों के पुनर्भरण की मात्रा एवं गुणवत्ता को प्रभावित किया है। मानवीय गतिविधियों एवं प्राकृतिक रूप से अकार्बनिक रसायन, मृदा, तलछट एवं चट्टानों से बिंदु स्रोत या गैर बिंदु स्रोत के रूप में भूजल प्रणाली में प्रवेश करते हैं जिसके कारण भूजल की

एक स्थिति पंजाब के भूजल के बारे में
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