Posted on 17 Aug, 2012 03:29 PMविकास की मौजूदा अवधारणा में हर प्राकृतिक संसाधन महज कच्चा माल है। प्रकृति की धरोहरों के प्रति कोई जिम्मेदारी का भाव नहीं है। एक-एक करके प्राकृतिक संसाधन खत्म होते जा रहे हैं। देश कई कुल ब्लॉक में अब कोयला खत्म हो चुका है। पेट्रोल के कई कुएं उत्पादन के अंतिम कगार पर है। प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन किसी भी तरह से उपयुक्त नहीं है। भावी पीढ़ी के लिए क्या हम कुछ भी छोड़ कर नहीं जाना चाहते। द