अनिल अग्रवाल और सुनीता नारायन

अनिल अग्रवाल और सुनीता नारायन
कर्म, कौशल और कलाकारी की विरासत
Posted on 19 Mar, 2017 04:16 PM

मानसून के समय जब खूब सारा पानी बरसता था तब हर कहीं पानी-ही-पा
बूदों की संस्कृति (पुस्तक भूमिका)
Posted on 19 Mar, 2017 12:51 PM


यह सम्भवतः एक अच्छी बात है कि जब ईस्वी सन की 20वीं शताब्दी और दूसरी सहस्त्राब्दी समाप्त होने जा रही है तब भारत की पारम्परिक जल संचय प्रणालियों वाली यह रिपोर्ट प्रकाशित हो रही है। यह रिपोर्ट मूलतः यही दिखाती है कि आने वाली शताब्दियाँ हों या सहस्त्राब्दियाँ, उन सबकी चुनौतियों पर खरा उतरने वाली पानी की व्यापक और सक्षम परम्पराएँ हमारे यहाँ मौजूद हैं।

बूंदों की संस्कृति
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