अमरेंद्र किशोर
कब सताएगी उन्हें पानी की चिंता
Posted on 01 May, 2017 01:42 PMअपने चैनलों के जरिए अंधविश्वास के भ्रम को स्थापित करने में मशगूल उपग्रह चैनल राशियों-ग्रह
गाँवों को पैसे नहीं, सहानुभूति चाहिए
Posted on 13 Dec, 2016 02:57 PMअमरेंद्र किशोर द्वारा शरद दत्त से बातचीत पर आधारित साक्षात्कार
आपकी पुस्तक ‘बादलों के रंग हवाओं के संग’ के बारे में सुंदरलाल बहुगुणा ने लिखा है कि इस पुस्तक का प्रकाशन अपने आप में एक घटना है।
जंगल लीलती परियोजना
Posted on 26 Nov, 2014 09:59 AMजिस दिन आखिरी पेड़ काटे जायेंगे, वह दिन भी आयेगा जब अंतिम नदी प्रदूषित होगी और जिस दिन बची मछलियां भी मछुआरे के जाल में जा फंसेंगी, उस दिन आपको यह आभास होगा कि इंसान या पशु पैसे खाकर जिंदा नहीं रह सकते-ये पंक्तियां उस पत्र के चुनिंदा अंशों में एक हैं जो कालाहांडी के नियमगिरि पहाड़ी के आदिवासियों द्वारा उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को लिखी गयी हैं। ये
मनरेगा और पानी
Posted on 07 Jan, 2011 09:56 AMबीते तीन सालों से तमाम आशंकाओं और अटकलों के बीच देश में ठीक-ठाक बारिश होती रही है। औसत बारिश का 78 प्रतिशत, जैसा कि विशेषज्ञ बताते हैं। दैनिक ज़रूरतों और दूसरे कामों के लिए हमें जितना पानी चाहिए, उससे दोगुनी मात्रा में पानी बरस कर जल- संकायों एवं धरती के गर्भ में जमा हो रहा है। वर्ष 2009 की सबसे अच्छी बात यह रही कि जब सौ सालों की अवधि में इस दौरान चौथा भयंकर सूखा पड़ने की आशंका बन रही थी तब सरक