यमुना नदी पर एक और बैराज बनेगा, तैयारी शुरू

Yamuna
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वृंदावन और मांट के मध्य निर्माण का प्रस्ताव, एक माह में तैयार हो जाएगी डीपीआर
.मथुरा। यमुना पर गोकुल बैराज जैसा ही एक और बैराज बनाने की योजना पर प्रारंभिक चरण में काम प्रारंभ हो गया है। यह बैराज वृंदावन के समीप अप स्ट्रीम में बनाने का प्रस्ताव है। इसके बनने से मांट के लिए एक और सुगम रास्ता बनेगा, पानी का संकलन होगा। पर्यटन की संभावनाएं बढ़ेगी। शासन की इस परियोजना को खड़ा करने के लिए डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार कराने के निर्देश दिए गए हैं। उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग ने 20 अक्टूबर को उन फर्मों से टेंडर प्रस्ताव मांगे हैं जिन्हें सर्वे कर इस प्रकार की परियोजनाओं के लिए डीपीआर बनाने का अनुभव है।

अस्सी के दशक में यमुना पर मथुरा और गोकुल के मध्य यमुना पर लोअर स्ट्रीम में बैराज का निर्माण कराया गया था। इस बैराज निर्माण से पानी का संकलन हुआ और बल्देव क्षेत्र के लिए रास्ता सुगम हुआ। यमुना पार जाने वालों को काफी सहूलियत हुई।

ठीक उसी तर्ज पर वृंदावन में बैराज निर्माण की योजना बनी है। सिंचाई निर्माण खंड के अधिशासी अभियंता ने 20 अक्टूबर को डीपीआर के लिए निविदाएं मांगी हैं। वृंदावन बैराज की प्रारंभिक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) बनाने के लिए केंद्रीय जल आयोग नई दिल्ली की गाइड लाइन पूरी करनी होगी। आयोग ने सात अगस्त को अपने पत्र में यह गाइड लाइन यूपी के सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता (गंगा) मेरठ को भेजी हैं। केंद्रीय जल आयोग (उत्तर निदेशक) ने एक माह में डीपीआर तैयार करने को कहा है।

दिल्ली से आ रही यमुना मथुरा जिले की सीमा में लगभग सौ किमी लंबाई में बहती है। यह अपने आप में देश भर की नदियों के पुल, बैराज मामले में एक रिकार्ड ही है कि अकेले मथुरा जिले की इस सौ किमी सीमा में दस पुल और बैराज हो जाएंगे। दसवां होगा वृंदावन का प्रस्तावित बैराज। मथुरा में भी सबसे ज्यादा बल्देव ब्लॉक को जोड़ने वाले पुल और बैराज हैं। इतने पुल और बैराज दिल्ली में भी नहीं हैं। यहां यमुना 56 किमी के दायरे में बहती है।

अब यदि वृंदावन बैराज बनता है तो इसके लिए सबसे ज्यादा अहम भूमिका पूर्व मंत्री श्याम सुंदर शर्मा और विधायक प्रदीप माथुर की ही होगी। ये दोनों लंबे समय से ये मांग उठाते चले आ रहे हैं।

अस्सी के दशक में तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने यमुना के पानी के सदुपयोग, पेयजल आपूर्ति, बल्देव-मथुरा के लिए आवागमन आदि उद्देश्यों से गोकुल बैराज का निर्माण कराया था। इसके लिए विधायक प्रदीप माथुर का दबाव काम आया था जबकि आगरा के दिग्गज नेता डॉ. कृष्णवीर कौशल, आजाद कुमार कर्दम आदि का आगरा में बैराज बनवाने का दबाव काम नहीं आया था। बैराज निर्माण से कई फायदे हुए। इसका लोकार्पण कल्याण सिंह के मुख्यमंत्रित्वकाल काल में हुआ।

गोकुल बैराज का फाईल फोटो
बैराज की कैसी होगी प्रारंभिक संरचना
बैराज अन्तरराज्जीय, अन्तरराष्ट्रीय मानक पूरे करेगा
भूमि का सर्वेक्षण एवं भूगर्भीय अनुसंधान होगा
भूकंप और आधारभूत अनुसंधान भी होगा
निर्माण संबंधी सर्वेक्षण भी होगा
हाईड्रोलोजीकल एवं मेट्रोलोजीकल सर्वेक्षण में पेयजल उपलब्धता, सिंचाई की उपयोगिता, पर्यटन लाभ, धार्मिक पर्यटन लाभ, मछली पालन और बाढ़ अध्ययन का ब्यौरा देना होगा

बैराज से क्या फायदे होंगे
वृंदावन से ऊपर पानी का संकलन
वृंदावन-मांट के मध्य आवागमन सुविधा
पर्यटन, मछली पालन में लाभ
आगरा की ओर बाढ़ रोकने में सहायक
भविष्य में वृंदावन के लिए पेयजल सप्लाई
वृंदावन के घाटों पर गोकुल की तरह पानी संकट भी संभव

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