यमुना मुक्ति यात्रा : कश्मीर से कन्याकुमारी तक फैली चिंता

यमुना मुक्ति पदयात्रा
यमुना मुक्ति पदयात्रा
यमुना मुक्ति यात्रा केवल धर्म और धार्मिकता का सवाल नहीं है। ऐसा नहीं है कि इसकी चिंता सिर्फ धर्म और आध्यात्म से जुड़े लोगों को हो। यमुना में बढ़ते प्रदूषण और गिरते भूजलस्तर को समझने वाले वे चाहे किसान हों, खेतीहर मजदूर हों, या फिर वकिल, व्यापारी, कॉलेज यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर। यमुना सबके लिए चिंता का विषय है। दुनिया की नामी-गिरामी साफ्टवेयर कंपनी इंफ़ोसिस में काम करने वाले धर्मिन पहले दिन से इस यात्रा में हैं। धर्मिन यात्रा के बाद इस तैयारी में हैं कि वह कोई ऐसा साफ्टवेयर विकसित करें कि जिससे यमुना के प्रदूषण और उससे भूजलस्तर के होने वाले नुकसान को आसानी से मापा जा सके। इतना ही नहीं कम्प्यूटर तकनीक के सहारे वह यमुना के प्रदूषण और गिरते भूजलस्तर के सवाल को पूरे देश-दुनिया में बसे हिंदुओं, मुस्लिमों और पर्यावरणविदों का सवाल बनाना चाहते हैं। बकौल धर्मिन यमुना किसी की निजी बपौती नहीं है। यमुना के सहारे हिंदू का गुजारा होता है। मुसलमान का गुजारा होता है। यमुना हमारे छोटी जोतों के किसानों और भूमिहीनों के जीवन का आधार है।

धर्मिन मूलरूप से मुंबई के रहने वाले हैं। उनके साथ अहमदाबाद के एक बड़े बिल्डर 66 साल के अरविंद भी आए हैं। पाटड़िया एंड पाटड़िया बिल्डर्स एंड डेवलपर्स समूह के मालिक अरविंद अपनी बात शायर माधव कौशिक की इस पंक्ति के साथ करते हैं
‘क्या बताएं किधर गया पानी।
सबकी आंखों का मर गया पानी।’

अरविंद भाई के मुताबिक उन्होंने गुजरात में यमुना जी चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना भी की है। ट्रस्ट के माध्यम से वह यमुना बचाओ संघर्ष के लिए 20 लाख रुपए अभी तक खर्च कर चुके हैं। पिछले 14 महीने में यमुना के सवाल पर अकेले राजकोट में ही चार सम्मेलन हुए हैं। इन सम्मेलन में 20 हजार तक लोगों की भीड़ जुटी है। इस यात्रा में गुजरात से पांच हजार लोग आए हैं। ये सब जगतगुरू वल्लभाचार्य की परंपरा से जुड़े पुष्टि मार्गी वैष्णव संप्रदाय के हैं। वल्लभ कुल के आचार्य पंकज, आचार्य गोस्वामी पुरुषोत्तम लाल, आचार्य द्वारकेश लाल भी इस यात्रा में साथ हैं। बकौल आचार्य द्वारकेश दुनिया भर में वल्लभ कुल के 2.5 करोड़ अनुयायी हैं। इनमें अधिकांश का संबंध तैलंग ब्राह्मण वंशजों से है। पुष्टि मार्ग का सबसे बड़ा तीर्थ रायपुर के नज़दीक चंपारण में है।

इन गृहस्थ गुरुओं की प्रेरणा और यमुना से जन्म-मरण के संस्कार का रिश्ता वल्लभाचार्य परंपरा के हजारों लोगों को इस यात्रा में खींचकर लाया है। मुंबई के कपड़ा व्यापारी जयू तन्ना के मुताबिक वल्लभाचार्य कुल परंपरा के लोग यमुना में कभी स्नान नहीं करते हैं। वे केवल आचमन करते हैं और फिर जो आचमन हमें मुक्ति दिलाता है, वह आचमन के लायक भी नहीं बचा, तो उस जल को बचाने के लिए हम सब उठ आए।

मुंबई मनु भाई मेक्सस मॉल्स बिल्डर्स ग्रुप के मालिक हैं। यमुना को बचाने का जोश और ज़ज़्बा उनमें इतना है कि घुटनों में दर्द होने के बावजूद 56 साल की उम्र में वह सबसे आगे निकलने की कोशिश करते हैं। अपना सारा कामधाम छोड़कर मनुभाई कारोबार में अपने सहयोगी अपने आर्कीटेक्ट रशिश भाई को भी लेकर आए हैं। अरविंद भाई के मुताबिक ‘पिछले दिनों यमुना का शुद्ध जल लेने के लिए वह हथिनीकुंड गए। वहां यमुना का प्रवाह इतना अविरल और वेगवान है। जल इतना शुद्ध है कि उसमें केसर की सी सुगंध आती है, लेकिन जब वह कृष्ण के गोकुल में आए, तो वहां राधाकिशन की यमुना या तो थी ही नहीं या सड़ांध मार रही थी।

दिल्ली का आधा कचरा सीधे जाता है यमुना में


कभी दिल्ली के लोगों को सिंचाई और पीने का पानी देने वाली यमुना की हालत आज कैसे है। इससे सब वाक़िफ़ है। यमुना से पानी पीने के लिए लिया जाता है। उससे दिल्ली की 40 फीसदी आबादी की जरूरत पूरी होती है। दिल्ली के खाते में एक और अजीब बात है कि यमुना की यहां सबसे कम लंबाई है, लेकिन सबसे अधिक गंदगी यमुना को दिल्ली से ही मिलती है। सरकार की ओर से भी कई बार कोशिश की गई, लेकिन यमुना सफाई के नाम पर सिर्फ रुपए खर्च किए गए। एक समय था जब यमुना से सीधा पानी लेकर बिना ट्रीटमेंट किए लोग पी लिया करते थे, लेकिन अब यमुना इतनी मैली हो चुकी है कि पानी को पीने लायक बनाने के लिए कई-कई बार ट्रीटमेंट करना पड़ता है। मैली यमुना को साफ कराने को लेकर हमने कुछ लोगों से बात की। उल्लेखनीय है कि यमुना सफाई के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट भी कई बार दिल्ली सरकार को और अन्य एजेंसियों को भी चेतावनी दे चुका है।

यमुना सफाई अभियान से जुड़े कई आंदोलनकारियों ने भी इस मुद्दे पर सवाल उठाया। ध्यान रहे कि यमुना में लोग खुद भी कचरा डालते हैं। धार्मिक आस्था के नाम पर लोग यमुना में कचरा डालते हैं। इसके लिए भी यमुना के किनारे पुल के पास जालियां लगाई गईं। कोशिश की गई कि लोग यमुना में कचरा नहीं डाल पाएं, लेकिन इसके बावजूद लोग यमुना में कचरा डालने से बाज नहीं आते हैं। यमुना के ऊपर बने विभिन्न सड़क मार्ग के पुलों पर लोग गाड़ियों को रोककर यमुना में कचरा डालते हैं। इसके अलावा रेलवे पुल से भी लोग कचरा डालते हैं।

अब दिल्ली को जागना होगा। यदि हमें आने वाले दौर में यमुना से पीने का पानी चाहिए तो हमें उसकी सफाई पर ध्यान देना होगा। नहीं तो आने वाले समय में यमुना का पानी पीने लायक नहीं बचेगा। लोगों को यमुना को साफ करने के लिए लोगों को पहल करनी पड़ेगी।
(अभिषेक गौतम, छात्र)

यमुना को बचाने के लिए हमें पहल करनी होगी। गुजरात की साबरमती नदी की स्थिति कभी यमुना से भी ज्यादा खराब थी, लेकिन आज वह बिल्कुल साफ हो चुकी है। जब वहां पर ऐसा हो सकता है तो दिल्ली में ऐसा होना मुमकिन है। लोगों को यमुना को साफ करने के लिए आवाज़ उठानी होगी। तभी कुछ दिल्ली और यमुना का भला हो पाएगा।
(भारत कुमार, छात्र)

यमुना को साफ करने के लिए लोगों को ही आगे आना होगा। जब मथुरा से लेकर दिल्ली तक यमुना के लिए पैदल यात्रा कर सकते हैं तो दिल्ली के क्यों नहीं। यमुना तभी साफ हो पाएगी। जब तक दिल्ली के लोग खुद से आगे नहीं आएंगे तब तक यमुना साफ नहीं हो पाएगी।
(शुभम शर्मा, छात्र)

यदि दिल्ली अब भी नहीं जागी तो यमुना सिर्फ कहानियों में रह जाएगी। जिसे आज नजफगढ़ नाला कहा जाता है वह कभी साहिबी नदी हुआ करती थी। कहीं ऐसा न हो आने वाली पीढ़ियां यमुना को नाला ही न कहने लगे। इसके लिए सरकार को व्यापक कदम उठाने चाहिए।
(सिद्धार्थ शर्मा)

यमुना को मैली होने से रोकने के लिए पहले हमें खुद जागरुक होना होगा। इसके अलावा सरकार को भी इसके लिए दावे नहीं बल्कि प्रयास करने होंगे। तभी यमुना का कुछ भला हो सकता है।
(थानवीर यादव)

यमुना प्रदूषण पर राज्यसभा चिंतित


राज्यसभा में गुरुवार को विभिन्न दलों के सदस्यों ने यमुना में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण पर गहरी चिंता जताते हुए सरकार से इसे दूर करने के लिए शीघ्र ही प्रभावी कदम उठाए जाने की जरूरत पर बल दिया। सपा सांसद दर्शन सिंह यादव द्वारा उठाए गए इस मुद्दे पर संसदीय कार्य राज्य मंत्री राजीव शुक्ला ने कहा कि सरकार चर्चा के लिए तैयार है। इसी सत्र में इस मुद्दे पर चर्चा कराई जाएगी।सपा के दर्शन सिंह यादव ने शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि एक मार्च से मथुरा के वृंदावन से ‘यमुना बचाओ यात्रा’ बड़े स्तर पर शुरू हुई है। इस यात्रा के माध्यम से लोग यमुना नदी के समीप बसे शहरों एवं कस्बों से निकलने वाली गंदगी तथा कारख़ानों के औद्योगिक अपशिष्ट यमुना के पानी में डाले जाने का विरोध कर रहे हैं।

यादव ने कहा कि यमुना नदी के किनारे बने चमड़े के कारखाने से निकलने वाले औद्योगिक कचरे में क्रोमियम जैसे कई विषाक्त तत्व होते हैं जिसके कारण यमुना नदी के जल का इस्तेमाल करने वाले कई लोगों को कैंसर हो रहा है। उन्होंने कहा कि यह बेहद गंभीर मामला है और सरकार को इस पर प्रभावी कदम उठाने चाहिए तथा इस मुद्दे पर सदन में विस्तृत चर्चा करानी चाहिए। उनकी इस मांग का विभिन्न दलों के सदस्यों ने समर्थन किया। संसदीय कार्य राज्य मंत्री राजीव शुक्ला ने कहा कि गंगा एवं यमुना नदी का प्रदूषण हम सभी के लिए बेहद गंभीर प्रश्न है। सरकार इस मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है।

यमुना आंदोलन में भाजपा


यमुना शुद्धिकरण आंदोलन में भारतीय जनता पार्टी भी अब पूरी तरह कूद चुकी है। भाजपा दिल्ली प्रदेश के पूर्व अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने यमुना आंदोलन को समर्थन देते हुए दिल्ली और केंद्र सरकार पर तिखे हमले किए। गुरुवार को यहां आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि सरकार की उदासीनता की वजह से यमुना नदी की बजाय गंदे नाले में तब्दील हो गई है। वजीराबाद से ओखला डैम तक करीब 22 किलोमीटर गंदे नाले हैं, जिससे रोज 35 करोड़ लीटर गंदगी यमुना में एकत्रित होता है। हथिनीकुंड के बाद 97 प्रतिशत हिस्सा हरियाणा उपयोग कर रहा है। पूर्व अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि यमुना के पानी को लेकर उच्चतम न्यायालय ने भी कई बार टिप्पणियां की है। जबकि यमुना की सफाई के नाम पर दिल्ली सरकार ने दो हजार करोड़ रुपए से अधिक फूंक डाले। पूर्व अध्यक्ष गुप्ता ने दिल्ली सरकार के 17 वाटर ट्रीटमेंट प्लांट पर सवालिया निशान लगाते हुए इसकी न्यायिक जांच की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि ट्रीटमेंट प्लांट का पानी पॉवर प्लांट को दिया जा रहा है।

इस मामले में भाजपा के पूर्व अध्यक्ष का कहना है कि राजधानी के अनधिकृत कॉलोनियों और गाँवों में सीवेज सिस्टम की व्यवस्था नहीं है। आलम यह है कि यमुना गंदगी ढोने को मजबूर है। 10 मार्च को संसद मार्ग पर आंदोलनकारी पहुँचेंगे। भाजपा के हजारों कार्यकर्ता आंदोलन में शामिल होकर सरकार पर दबाव बनाने का काम करेंगे। अगर जरूरत पड़ी तो जेल भी जाएंगे। यमुना रक्षक दल के उद्यन शर्मा ने कहा कि यमुना मैली होने के कारण वृंदावन में भगवान का अभिषेक भी नहीं किया जा रहा है। उन्होंने चेतावनी दी है कि उनकी मांग नहीं मानी गई तो इस बार ब्रज में होली नहीं खेली जाएगी।

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