सरकार के नुमाइंदे और यमुना बचाओं आंदोलन के सदस्य करेंगे सरकारी दावों की परख, मांग पूरी नहीं किए जाने पर आंदोलनकारियों ने दी एक मई को जंतर-मंतर पर किसान नई दिल्ली। महापंचायत करने की चेतावनी।
सरकार और यमुना बचाओ आंदोलन के सदस्य बुधवार को हथिनीकुंड बैराज जाकर नदी में छोड़े जा रहे पानी की मात्रा को जांचेंगे। इस बारे में जल संसाधन मंत्रालय के अफसरों और आंदोलन कर रहे साधु और किसान नेताओं की वार्ता में फैसला लिया गया। साथ ही चेतावनी दी है कि अगर मांग को शीघ्र ही पूरा नहीं किया गया तो एक मई को किसानों की महापंचायत दिल्ली में बुलाई जाएगी।
जंतर-मंतर पर यमुना की धारा को निर्मल बनाने के लिए किसान और साधु-संत आंदोलन कर रहे हैं। मंगलवार को शाम में यमुना बचाओ आंदोलन का छह सदस्य प्रतिनिधिमंडल जल संसाधन मंत्रालय में अफसरों से वार्ता करने गया था, लेकिन आंदोलनकारियों को यमुना में पानी छोड़े जाने के अफसरों के दावों पर भरोसा नहीं है। वार्ता में तय हुआ कि बुधवार को केंद्रीय पानी आयोग, योजना आयोग, हरियाणा सिंचाई विभाग, दिल्ली जल बोर्ड और पर्यावरण एवं वन मंत्रालय से एक-एक अफसर और यमुना बचाओ आंदोलन से छह सदस्य दल ताजेवाला स्थित हथिनीकुंड बैराज से यमुना में छोड़े जा रहे पानी के दावों को परखेंगे। अफसरों का दावा है कि हथिनीकुंड से प्रतिदिन 160 क्यूसेक्स पानी यमुना में छोड़ा जा रहा है, लेकिन इसके बाद भी नदी की स्थिति में कोई अंतर नहीं आया है। यमुना बचाओ आंदोलन के सदस्य नजफगढ़ ड्रेन से भी छोड़े जा रहे 140 क्यूसेक्स पानी की स्थित को भी परख सकते हैं।
आंदोलनकारी किसान नेता राजेंद्र शास्त्री ने बताया कि उनकी मांग को सरकार ने पूरा नहीं किया तो इस बार एक मई को जंतर-मंतर पर ही किसान पंचायत हो सकती है। उधर, मंगलवार को आंदोलन का समर्थन करने के लिए दिल्ली जामा मस्जिद कमेटी के संयोजक हाशिम अंसारी और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत ज्ञानदास ने संयुक्त रूप से पत्र भी दिया।
सरकार और यमुना बचाओ आंदोलन के सदस्य बुधवार को हथिनीकुंड बैराज जाकर नदी में छोड़े जा रहे पानी की मात्रा को जांचेंगे। इस बारे में जल संसाधन मंत्रालय के अफसरों और आंदोलन कर रहे साधु और किसान नेताओं की वार्ता में फैसला लिया गया। साथ ही चेतावनी दी है कि अगर मांग को शीघ्र ही पूरा नहीं किया गया तो एक मई को किसानों की महापंचायत दिल्ली में बुलाई जाएगी।
जंतर-मंतर पर यमुना की धारा को निर्मल बनाने के लिए किसान और साधु-संत आंदोलन कर रहे हैं। मंगलवार को शाम में यमुना बचाओ आंदोलन का छह सदस्य प्रतिनिधिमंडल जल संसाधन मंत्रालय में अफसरों से वार्ता करने गया था, लेकिन आंदोलनकारियों को यमुना में पानी छोड़े जाने के अफसरों के दावों पर भरोसा नहीं है। वार्ता में तय हुआ कि बुधवार को केंद्रीय पानी आयोग, योजना आयोग, हरियाणा सिंचाई विभाग, दिल्ली जल बोर्ड और पर्यावरण एवं वन मंत्रालय से एक-एक अफसर और यमुना बचाओ आंदोलन से छह सदस्य दल ताजेवाला स्थित हथिनीकुंड बैराज से यमुना में छोड़े जा रहे पानी के दावों को परखेंगे। अफसरों का दावा है कि हथिनीकुंड से प्रतिदिन 160 क्यूसेक्स पानी यमुना में छोड़ा जा रहा है, लेकिन इसके बाद भी नदी की स्थिति में कोई अंतर नहीं आया है। यमुना बचाओ आंदोलन के सदस्य नजफगढ़ ड्रेन से भी छोड़े जा रहे 140 क्यूसेक्स पानी की स्थित को भी परख सकते हैं।
आंदोलनकारी किसान नेता राजेंद्र शास्त्री ने बताया कि उनकी मांग को सरकार ने पूरा नहीं किया तो इस बार एक मई को जंतर-मंतर पर ही किसान पंचायत हो सकती है। उधर, मंगलवार को आंदोलन का समर्थन करने के लिए दिल्ली जामा मस्जिद कमेटी के संयोजक हाशिम अंसारी और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत ज्ञानदास ने संयुक्त रूप से पत्र भी दिया।
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