दिल्ली में पहले से ही प्रदूषित हवा की मार झेल रहे राजधानीवासियों को नए साल में पेयजल संकट से जूझना पड़ेगा। यमुना नदी में अमोनिया प्रदूषण का स्तर बढ़ जाने के कारण वजीराबाद, चंद्रावल, हैदरपुर-1, हैदरपुर-2, ओखला, द्वारका, बवाना तथा नांगलोई वाटर ट्रीटमेंट प्लान्ट में जलशोधन कार्य ठप हो गया है। दिल्ली जल बोर्ड ने कहा है कि अगले 48 घंटे तक इन जलशोधन संयंत्रों से पानी का शोधन नहीं हो सकता।
![यमुना नदी](https://farm8.staticflickr.com/7543/15744537301_21a1053a0d.jpg)
हरियाणा की फैक्ट्रियों से यमुना में मिलता है केमिकल
दरअसल यमुना में हरियाणा से आने वाले कच्चे पानी को दिल्ली बोर्ड उपरोक्त ट्रीटमेंट प्लान्ट में शोधन कर पीने लायक बनाकर सप्लाई करता है। इस कच्चे पानी में हरियाणा के फैक्ट्रियों से गन्दे व केमिकल युक्त पानी को बिना शोधित किये बहा दिया जाता है। इस कारण दिल्ली को मिलने वाले कच्चे पानी में अमोनिया प्रदूषण की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे पानी जहरीला हो जाता है। इस पानी को संयंत्र शोधित नहीं कर पाता है क्योंकि शोधन के बाद भी पानी दूषित ही रहता है। प्रदूषण का असर ट्रीटमेंट प्लान्टों पर भी पड़ता है। इस कारण संयंत्रों को बन्द करना पड़ता है।
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